मुस्कुराकर चल मुसाफिर
राह आसां बनाता जा
सद्भावो की खोल पोटली
जग में प्यार लुटाता जा
दीन दुखी को गले लगाकर
सबका मन हर्षाता जा
कंटक पथ भी मिल जाए तो
उनको फूल बनाता जा
अपनी मधुर वाणी से प्यारे
प्यार की गंगा बहाता जा
गीत गजल छंद मुक्तक से
भावों को महकाता जा
अपनापन दुनिया का गहना
कीर्ति पताका फहराता जा
सच्ची लगन और मेहनत से
बुलंदियां पथ में पाता जा
रमाकांत सोनी नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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कविता