इलेक्शन का दौर चल रहा था । चारों तरफ गहमागहमी का माहौल था ।ऐसा लग रहा है जेठ मास में सावन के बादल रह रहकर बरस रहे थे ।मुरझाये हुए चेहरों पर खुशी के फूल खिल रहे थे । इसी बीच नवरात्र भी आ गये । हिन्दू वर्ष का पहला दिन नव संवत्सर का प्रारंभ ।मौसम खुशगवार शर्मा जी नागिन धुन पर लहराते हुए चलते हुए ऐसे दिखलाई पड़ रहे थे जैसे शर्मा जी रुपी नाग पर एक साथ कई नेवले एक साथ टूट पड़े हों । और नाग रुपी शर्मा जी उन्हें सबक सिखाकर नागिन डांस करने वाले हों । क्योंकि उनकी चाल में एक मस्ती सी छायी हुई थी ।
शर्मा जी के बारे में थोड़ा परिचय दे दूं । बड़े ही सीधे-साधे कुत्ते की पूंछ की तरह जिधर चाहो उधर मोड़ दो ।मगर पूंछ छूटते ही टेढ़ी की टेढ़ी । पत्रकार साहित्यकार देखा जाए तो उसी कुत्ते की पूंछ की तरह होते हैं । इन्हें अपने स्वरुप में ढालने की लोग हर संभव कोशिश करते हैं । कोशिश करने वाले थक हार कर चूर हो जाते हैं । लेकिन ये लोग कभी नहीं सुधरते । लिखते वहीं है जो इनकी नजर में खरा उतरता है ।न तो किसी के धौंस या दबाव का असर पड़ता है । और न ही किसी प्रलोभन का । अपने विचार साझा करने से ये लोग कभी नहीं चूकते । तभी पत्रकारों व साहित्यकारों को शैतान की औलाद कहने से भी नहीं चूकते ।
शर्मा जी खालिस पत्रकारिता का दिमाग रखते थे । उन्हें एक बार पत्रकारिता में आने का भी सुनहरा मौका मिला । लेकिन बेचारे किस्मत के आगे हार मान गये ।सिर मुंडाते ही ओले पड़ गये । जिससे शर्मा जी के कुछ नट बोल्ट थोड़े ढीले पड़ गए थे । लेकिन शर्मा जी ने हार नहीं मानी । लड़ते रहे कुछ विचार धाराओं से जो शर्मा जी पत्रकारिता बिल्कुल समाप्त करना चाहती थी । जाल पर जाल बुने जा रहे थे । लेकिन नारी शक्ति को ध्यान में रखकर वे लगातार लिखते चले जा रहे थे ।
नवरात्र और नारी शक्ति जोकि नारी शक्ति के उत्साह वर्धन को एक नई संजीवनी प्रदान करती है । जहां नारी को दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती काली और नव देवियों में पूजा जाता है । तो वहीं फिल्मों और टीवी सीरियलों ने उस नारी का रूप इतना विक्रत करके रख दिया है । नारी शक्ति को जो सम्मान समाज में मिलना चाहिए ।वह नहीं मिल पाता ।
लेकिन एक बात गौर करने लायक यह भी रही कि हमेशा पुरुष वर्ग को नारी शक्ति पर शोषण के लिए बदनाम किया जाता है । लेकिन कभी कभी ऐसा भी महसूस होता है जब नारी पुरुष का शोषण करती है । बेचारा पुरुष अपना दुख दर्द किसी को दिखा भी नहीं पाता ।शिकायत करे तो पता चला खुद पर ही ग्रह सवार हो गयी घर से भी और बाहर से भी ।धोबी का कुत्ता घर का न घाट का ।
शर्मा जी घर से निकलते हुए सोचते हुए जा रहे थे क्या करुं ?
जिस नारी शक्ति के उत्थान के लिए दिन रात लिखते रहे ।उसी नारी शक्ति के कारण उन्हें लगातार बदनाम किया जा रहा था । जबकि शर्मा जी हंसमुख स्वभाव के जरुर थे । साहित्य प्रेमी होने के कारण उनके सम्बन्ध समाज के हर वर्ग समुदाय से थे । जिनमें स्त्री पुरुष सभी लोग शामिल थे । उन्होंने जीवन में कभी यह विचार नहीं किया था ।कि किसी पराई स्त्री की और मूंह उठाकर भी देखें ।उनकी नज़र में नारी शक्ति का सम्मान बहुत ऊंचा था ।देश की हर बेटी उनके लिए बेटी के समान थी ।वह हर किसी को बहन या बेटी मानकर ही चलते थे ।
जब मनुष्य किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि हासिल करना शुरू कर देता है तो जलने वाले भी स्वत ही पैदा हो जाते हैं । लिहाजा जहां उनके प्रशंसकों की संख्या में बढ़ौतरी होनी शुरू हुई तो छुपे हुए दुश्मन भी अपना कुचक्र रचने लगे ।
हुआ वहीं जो नियति ने पहले से ही रच रखा था ।समय के साथ साथ सब कुछ साफ़ होने लगा । और जो व्यक्ति जिस नारी शक्ति के कारण शर्मा जी को लगातार बदनाम करने की कोशिश कर रहे थे ।उसी नारी शक्ति ने कुचक्र रचने वालों को ऐसा मूंह तोड़ ज़बाब दिया कि लोगों की बोलती बंद हो गई ।नारी शक्ति का वर्चस्व कायम हुआ ।
शर्मा जी का मान सम्मान फिर उसी नारी शक्ति ने ही बढ़ाया जिसके बल पर शर्मा जी को लगातार बदनाम किया गया था ।
नये संवत्सर का पहला दिन शर्मा जी के जीवन में खुशियों का खजाना लेकर आया ।सारे गिले-शिकवे खुद ब खुद दूर होने शुरू हो गये । जंगल में मंगल मय नव वर्ष का मंगल गान सजाया जाना शुरू हो गया ।
चारों तरफ खुशियों के गीत गुनगुनाये जा रहे थे और नेता लोग चुनाव प्रचार में जी जान लगा रहे थे ।
लोग कानों में फुसफुसा कर कह रहे थे काश इस चुनाव में शर्मा जी भी चुनाव मैदान में होते तो अपनी कविताओं के बल पर ही चुनाव जीत हासिल कर सकते थे । लेकिन मनमौजी स्वभाव के शर्मा जी को इन चुनाव अभियान से कोई मतलब ही नहीं है । क्या करें ?
ना तो किसी चुनाव में जा रहे हैं और न ही किसी को लड़ा रहे हैं । शर्मा जी भांग खाये पड़े हैं क्या?
लेकिन शर्मा जी अपनी लीला में मस्त समाज को नारी शक्ति के महात्म्य के बारे में समझा रहे थे कि यदि आप नारी शक्ति का सम्मान करेंगे तो वहीं नारी शक्ति आपके जीवन में उत्थान का कारण बनेगी । किसी कारणवश यदि भूल से भी नारी शक्ति का अपमान हुआ घर परिवार उजड़ा चमन बन जायेगा ।घर परिवार तभी सुखी और समृद्ध हो सकता है जब पति-पत्नी दोनों एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर घर परिवार की उन्नति में सहायक बनकर एक दूजे का साथ निभायें । और सभी बड़ों को भी सम्मान दें तो एक दिन हर अमंगल भी मंगल बनकर सुख शांति और समृद्धि का कारण बनता है । वरना आज हठ धर्मी की वजह से लाखों घर परिवार जरा सी देर में टूट कर बिखर जाते हैं । जिसमें दोष किसी एक का नहीं वरन् दोनों का ही होता है ।
नवरात्र में नारी शक्ति की पूजा उपासना का मुख्य कारण भी यही है । पत्नी ग्रह लक्ष्मी कहलाती है ।
लक्ष्मी के आठ स्वरुप माने जाते हैं । जिनमें ग्रह लक्ष्मी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है । क्योंकि घर गृहस्थी का सारा भार ग्रह लक्ष्मी के कंधों पर ही होता है । पुरुष अधिकतर बाहरी कार्यों का ही अभ्यस्त होता है जबकि ग्रह लक्ष्मी सरस्वती लक्ष्मी दुर्गा काली आदि रुप अपना कर अपना वर्चस्व कायम रखती हैं ।
काश हम रिश्तों को समझें और तरजीह देकर आगे बढायें ।
इक दूजे को प्यार देकर हम इक दूजे का सम्मान बढायें।।
हर मुश्किल टल जायेगी उस दिन जब इक दूजे को समझ जायें ।
नवरात्र का तात्पर्य समझ हम नारी शक्ति को प्रबल बनायें ।।
जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
चन्द्र शेखर शर्मा मार्कण्डेय
जनपद अमरोहा उत्तर प्रदेश
मोबाइल न 8192078541
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