जय जय हे, प्यारी शैल पुत्री माता,
आज जग कर रहा है जय जयकार।
मां तुम हो पालनहार, इस जग का,
तुम ही हो हर मानव का तारणहार।
जय जय हे…………….
घट स्थापन हो रहा है, मंदिर मंदिर,
मैया सज रहा तेरा, शान से दरबार।
पंडित पुजारी सब मंत्रोचारण कर रहे,
लगी है लंबी लंबी, भक्तों की कतार।
जय जय हे……………….
मैया तुम हो, इस जग की स्वामिनी,
तेरे चरणों में, नतमस्तक है संसार।
कोरोना महामारी से बचा लो दुनिया,
सुनो हे मैया, अपने सेवकों की पुकार।
जय जय हे……………
बहुत प्यारा लगता, नवरात्रि त्योहार,
कोरोना को भगाकर, देना ये उपहार।
धर्म और पुण्य को बसाओ हे भवानी,
दिखाओ कोरोना को, अपनी तलवार।
जय जय हे………………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार
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कविता