(माता चन्द्रघंटा आराधना गीत)
पंक्तियां
महापर्व नवरात्रि में, आज मग्न है सुंदर संसार,
कण कण में शक्ति भक्ति की, छाई है बहार।
माता चंद्रघंटा, अर्ध चन्द्र मस्तक पर है शोभित,
जिसका आकार लगता, बड़ा सुंदर सलोना घंटाकार।
आज सारी दुनिया में हो रही है, मैया दुर्गा भवानी के, इसी तीसरे सोने जैसे रूप की, जोर से जय जयकार।
गीत
हे मैया आदिशक्ति शेरावाली, तुम सबकी सुननेवाली,
दर से कोई लौटा न खाली, मेरा भाग्य जगा दो!
शुरू से अंधेरे में मैं भटक रहा हूं, हे जगत की जननी,
मेरे भी जीवन से महादेवी, आज अंधेरा दूर भगा दो!
हे मैया आदिशक्ति …………….
नौ रूप में दर्शन देती हो, कोई रूप हमें दिखा दो,
भंवर में मेरी डोल रही नैया, इसको पार लगा दो!
कर लो स्वीकार पूजा मेरी, अपने चरण बिठा लो,
चरण रज अपना दे दो मां, रास्ता नया दिखा दो!
हे मैया आदिशक्ति…………….
सारी शक्ति समाई तुम में, नई ज्योति जला दो,
कांटे समेट लो सारे, राहों में नव फूल खिला दो!
धर्म पुण्य का कल्याण कर दो, मैया देवी महारानी दुनिया से पाप अधर्म के, सारे निशान मिटा दो!
हे मैया आदिशक्ति…………………
नवरात्रि का तीसरा दिन है, चन्द्रघंटा रूप तुम्हारा,
अपने चमत्कार की मैया, झलक एक बार दिखा दो।
कोरोना भगा दो दुनिया से, और उसे कड़ी सजा दो,
कृष्णदेव की विनती, अब दर्द की कोई तो दवा दो!
हे मैया आदिशक्ति………………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार
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