चौपाई छंद (मात्रा 16)हर चरण
जीवन में क्या पाया मैने,
सारी जीवन जो ग़म पाया,
एक बार वो मै बांध लेता,
काश! वो मै भी बांध लेता
शायद कुछ छूट गया मुझ से,
क्या छूटा कैसे खोजू हाय!
जुदा हो गया वे पल अब जो
अकेला रहकर भी पुकारा,
क्या कहूं मै दिल से जो बात,
वे बाते आज बहना कहे,
रात,दिन में रोता रहा
पूणम की चांद किया इंगित,
चांद ने कहा आया राखी,
सुनकर मै हो गया बेहोश,
क्या करता उस वक्त मै मित्रों
न वे मिला मिठाई ना स्वाद,
कौन मिठाई खिलाए मुझे,
बहना तो नहीं मेरे पास,
है केवल उनकी स्मरण याद
इंजार क्या करू मै जो अब,
घड़ी बिता, पल बिता हाय!
पकड़ ना पाऊं उस पलो को,
निकल गया मेरे हाथों से
हे!भगवान ज़रा ला दो वो,
मेरे हाथ ख़ाली पड़ा है,
ला दो कोई मेरी बहना,
कह पाऊं मै उसे बहन तो
साल में आती यूं ही बार,
कितनी अरमान होती मुझे,
माना लू मै भी आज केवल
हक़ जो है हर इंसान यहां,
पालन होगा मेरा भी वो,
मौक़ा क्यों छोड़ू आजी का,
जीवन है केवल एक बार
मै हूं,मेरी बहना भी है,
क्यों बहाऊं आंसू मै आज,
एक बार जो धागे लेता,
काश! वो मै बांध लेता
धन्यवाद
मानव दे
बोंगाईगांव, असम
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कविता