अम्मा आवा अब नवा साल
बजइबे घरै ढोल करताल
द्वारे बंधिबे हम बंदनवार
जगदम्बे मइया का त्यौहार
मइया हमारे घर मा अइहैं
खूब बड़ी खुशियाली लइहैं
मइया का घर मा कलश सजइबे
पूजा, हवन, आरती करिबे
मइया का मनइबे बारम्बार
मइया की महिमा बड़ी अपार
आशीष हमै देइहैं सौ बार
बेला और गुलाब चढ़इबे
लाल लाल चुनरी पहिनइबे
मइया हमरी खुश होइ जइहैं
खुशी से भरि जाई घर बार
मइया आपन शस्त्र उठइहैं
कोरोना का मारि भगइहैं
सबका होइ जाई उद्धार
दरवाजे बांधौ बंदनवार
अम्मा अब आगा नवा साल
सबका करि देई मालौमाल
प्रकृति है देखौ बड़ी सुजान
उसने भी बदले हैं परिधान
हमहूं नये कपड़वा लइबे
पहिनकै उनका मंदिर जइबे
मइया जी के दर्शन करिबे
आशीर्वाद मइया से लइबे
खुशी खुशी नववर्ष मनइबे
नई क्लास मा खुब हम पढ़िबे
फिर से होइ जइबे हम पास
जगदम्बे मा से यही है आश
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कल्यानपुर कानपुर
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कविता