दोहा-मुक्तक

नम:स्तुभ्यम, नमोस्तुते
माँ 

दोहा, मुक्तक
सिंहवाहिनी माँ जया, सरल मना शुचि रूप ।
महाश्रया हे मालिनी,  खिले शांति की धूप ।
कठिन समय संबल सदा,प्राणों का आधार ।
दुर्गा दुर्गतिनाशिनी ,  तू जग पालनहार ।।

प्रमिला श्री 'तिवारी'

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