काव्य सृजन में निहित
ये प्रतिदिन का श्रृंगार है
अंतःकरण में प्रस्फुटित
फिर शब्दों की बौछार है
नित्य कर्म सृजन का यह
उन्मुक्त आमंत्रण देता है
विचार प्रवाह की युक्ति
से नव निमंत्रण देता है ।
अनंत शब्दयोग से पूर्ण
सृजन प्रवाहित होता है
अन्तर्मन की करुणा से
हृदय प्रभावित होता है।
एम.एल. नत्थानी
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कविता