हमसे ना पूछो यारों
क्या क्या हमने देखा है
चाँद संग तारों का संगम हमने देखा है
बादलों की ओट मे चाँद कॊ छुपते देखा है
चकॊरी कॊ चाँद के वियोग मे तड़पते देखा है
जीवन के 64 पड़ाव मे क्या क्या हमने देखा है
रंग बदलती दुनियाँ के हर रंग कॊ हमने देखा है
झूठे का बोल बाला सच्चे का मुँह काला देखा है
भ्रष्टाचार का चारो ओर हमने बोल बाला देखा है
कुर्सी जिसको मिल जाए उसकॊ तानाशाहा देख़ा है
हर दिन हमने यारो यहाँ देश कॊ लूटते देखा है
इलेक्शन जब आते है इनका रंग बदलते देखा है
वोटो की भीख की खातिर घर घर जाते देखा है
मतलब जब निकल जाए तो लात मारते देखा है
स्वार्थ की इस दुनियाँ के हर रंग कॊ हमने देखा है
मंदिर भगवान से ज्यादा धनवान का अर्चन देखा है
जगह जगह दीवारो पर उनका ही नाम देखा है
उफरे हुए भगवान कॊ मिस्टान चढ़ते . देखा है
बाहर बच्चों कॊ भूख से तड़पते हमने देखा है
. बाबाओं का आज तो हमने बोल बाला देखा है
बाबा से व्यापारी बनते हमने इनको देखा है
धर्म सेवा की आड़ मे अरबपति बनते देखा है
बूढ़े माँ बाप कॊ विर्धा आश्रम पहुंचाते देखा है
अपने बच्चों के लिये उनको तड़पते देखा है
जिन्दे मे भोजन नहीँ मीर्त्यु पर भोज देखा है
मरने के बाद हमने तस्वीर की पूजा देखी है
. अंत मे सबको हमने यहाँ अग्नि जलते देखा
रंग बदलती दुनियाँ के हर रंग कॊ हमने देखा है
कहता "लक्ष्य" स्वर्ग नर्क यहीं ये भी हमने देखा है
. हमसे ना पूछो यारों क्या क्या हमने देखा है
निर्दोष लक्ष्य जैन झारखंड
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कविता