आशा, बेहतर कल की, हर इंसान करते,
आशा पर ही, टिकी हुई है यह दुनिया।
आशा जिसके जीवन का साथ छोड़ देती,
उसको सबसे बेकार लगती, यह दुनिया।
आशा, बेहतर कल की………….
आशा होती इंसान में, सबसे बड़ा सहारा,
जबतक आशा है, दूर रहता है अंधियारा।
आशा जब टूट जाती है किसी इंसान की,
तब कांटों का उपहार लगती यह दुनिया।
आशा, बेहतर कल की………….
आशा की एक किरण सब बदल देती है,
नकारात्मकता को पूर्णतः कुचल देती है।
आशा और निराशा में कोई मेल नहीं है,
निराशा को, निराश लगती यह दुनिया।
आशा, बेहतर कल की……….
आशा कल को बेहतर करके दिखलाती है,
आशा निराश मन को जीना सिखलाती है।
आशा ही नए नए सपने दिखलाती सबको,
आशा को हमेशा सुंदर लगती यह दुनिया।
आशा, बेहतर कल की…………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
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कविता