भारतीय नववर्ष (संवत्सर) एवं शक्ति साधना की पूर्व संध्या पर बीजापुर के वीर जवानों को श्रद्धा सुमन समर्पित।
नक्सलियों की संहार लीला
कोटि-कोटि नमन वंदन श्रद्धा सुमन समर्पित उन वीर सपूतों को
देश की रक्षा में जो उद्मत रहते प्रति पल शीश काटने और कटाने को
घात लगाकर धोखे से जो मार रहे , अपने ही वीर जवानों को
ख़ोज ख़ोज कर मारना होगा, ऐसे क्रूर नक्सली शैतानों को
सर कटा चुके जो अगणित बार
सहते रहते अपनों के निष्ठुर प्रहार
है सत्ताधारियों से अब यही पुकार
कब तक सुनोगे ?
वीर जवानों का मौन चीत्कार
शौर्य पराक्रम दहकता है जिनकी रग रग में
तूफानों सा उठता रहता ज्वार सदा उर में
भुजबल दिखाते रहते हैं प्रति पल उनको
जो विष फेंट रहे मधु से जीवन में
नर नहीं!है यह निशाचरों का व्यवहार
है सत्ताधारियों से अब यही पुकार
कब तक सुनोगे ?
वीरों जवानों का मौन चीत्कार
जिन्हें लहू की बड़ी पिपासा है
समझो उन्हें जीवन से घोर निराशा है
जो कर रहे अपनों के ही रक्त से व्यभिचार
आओ मिलकर उन्हें सिखायें मानवता का व्यवहार
है सत्ताधारियों से अब यही पुकार
कब तक सुनोगे ?
वीर जवानों का मौन चीत्कार
मेरे देश के खिलते उपवन में
घोल रहे हो क्यों ज़हर?
अरे ओ भस्मासुरों!
मानवता पर यह कैसा कहर?
अब अपने शुक्राचारर्यों पर करो प्रहार
है सत्ताधारियों से अब यही पुकार
कब तक सुनोगे ?
वीर जवानों का मौन चीत्कार
तुम्हारी कैसी यह विचार वेदना है
गरीबों, भूखों के नाम पर छुपी दुष्ट चेतना है
त्यागो यह हिंसा अपनों पर
छोड़ असुरता लाओ मनुजता प्रखर
अब आ गया है वह पल प्रहर
करो स्वयं और देश पर उपकार
है सत्ताधारियों से अब यही पुकार
कब तक सुनोगे ?
वीरों का मौन चीत्कार
चिथड़े-चिथड़े उड़ाओ सभी के
जिनको नहीं देश से प्यार
श्रीकृष्ण का गीता ज्ञान किस लिए?
लक्ष्य वेधो और करो प्रहार
है सत्ताधारियों से अब यही पुकार
कब तक सुनोगे ?
वीरों का मौन चीत्कार
घात लगाकर धोखे से जो मार रहे, अपने ही वीर जवानों को
खोज खोज कर मारना होगा, ऐसे क्रूर नक्सली शैतानों को
कोटि कोटि नमन वंदन श्रद्धा सुमन समर्पित उन वीर सपूतों को.....
देश की रक्षा में जो उद्मत रहते प्रति पल अपना शीश काटने और कटाने को......
🇮🇳 वन्दे मातरम् 🇮🇳
चंद्रप्रकाश गुप्त "चंद्र"
(ओज कवि )
अहमदाबाद गुजरात
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कविता