तू दिल को इतना भा गया कि
सोचकर भी दूर नही जा पा रहा हूं
तेरी इतनी आदत हो गई है कि
बिना तेरे हमेशा तड़पता रहता हूं
खुदा भी ऐसा बंधन में बांध दिया कि
चोट तुम्हे लगता है महशूस मैं करता हूं
नजर में इस तरह बस गई है कि
तुम्हे देखने के लिए हमेशा बैचैन रहता हूं
जुदाई की पल इस तरह सताती है की
घुट घुटकर ही जैसे जीवन को जीता हूं
कभी तुम्हारी आंखों में आंसू ना आ जाए
दुआ में हमेशा खुशी ही मांगता रहता हूं
तुम्हारी करीब मौत को आने से पहले
मेरी मौत हो जाए हमेशा यही चाहता हूं
तुम्हारे जीवन के हर गम, दर्द तुम्हारी नहीं
वो मेरे किस्मत में आ जाए यही मांगता हूं
आंखों में हंसी होंठों पे हमेशा मुस्कान रहे
उसके लिए अपना हर खुशी कुर्बान करता हूं
अब किसी और की इस दिल में जगह नहीं
अपने दिल के हर कोने में तुम्हे ही बसाया हूं।
© रुपक
Tags:
कविता