वक़्त पुराना
याद आता है हमें वक़्त पुराने वाला।
प्यार को प्यार से था यार निभाने वाला।।
साँस से दूर नहीं अब भी वो ख़ुश्बू हमसे।
लौट कर आता कहाँ शख़्स वो जाने वाला।।
हाँ मिरे ग़म में बहाये थे उसी ने आँसू।
आज के जैसा न था प्यार दिखाने वाला।।
भूल सकता है न दिल प्यार भरीं वो रातें।
वक़्त अपना था वो जी हँसने हँसाने वाला।।
चाँदनी रात में अब लुत्फ़ कहाँ आता है।
चाँदनी में है न अब साथ नहाने वाला।।
हर ख़ुशी साथ गई पालकी के अपनी तो।
अब यहाँ ज़िस्म बचा अश्क़ बहाने वाला।।
अब"बिसरिया"के लिये सिर्फ़ बची तन्हाई।
अब नहीं कोई है सोते से जगाने वाला।।
बिसरिया"कानपुरी"
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