अंधेरे उजाले

अंधेरे उजाले
कभी अंधेरों में 
रोशनी को ढूँढ़ता हूँ। 
तो कभी रोशनी को 
अंधरो में खोजता हूँ। 
एक दूसरे के बिना
दोनों ही अधूरे से हैं।
इसलिए दीयावाती तेल
दोनों के पूरक हैं।। 

जिंदगी के सफर में 
कुछ कुछ होता रहता हैं। 
कभी जिंदगी में अंधेरा
तो कभी उजाला होता है। 
पर इसके बिना जिंदगी
अधूरा अधूरा सा रहता हैं। 
यदि जिंदगी में उतार चड़ाव
न हो तो जिंदगी स्थिर है। 
और ऐसी जिंदगी बिल्कुल
नीरस जैसी होती है।। 

अंधेरो को दूर करने के लिए दीया को आधार बन के। 
रोशनी के लिए तेल वाती  
को जलना पड़ता है। 
इसलिए जीवन में यारों
लगन मेहनत जरूरी है।
तभी जीवन के अंधेरो में
 रोशनी कर सकते हो।। 

जय जिनेंद्र देव
संजय जैन, मुंबई
11/04/2021

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