भाग्य से कुछ नहीं होगा,
आत्मविश्वास से
मेहनत करना है तुम्हें,
दृढ़ इच्छा शक्ति से
लहरों से लड़ना है तुम्हें,
हिमालय जैसे अडिग
रहकर आंधियों से
लड़ना है तुम्हें,
क्या बिगड़ेगा
कोविड-19
जब इच्छा शक्ति है ।
लड़ने का तुम्हें,
मौका मिला है ।
भारत मां की
सेवा करने का तुम्हें,
फिर से तिरंगा
लहराना है तुम्हें,
घोप दो खंजर
करोना कि सीने में तुम,
कर दो वतन को
करोना मुक्त तुम,
साहस बुद्धि इच्छाशक्ति से
कई जंग जीता है तुमने,
इतिहास बदलना है तुम्हें,
जंग के रण क्षेत्र में उतरना है तुम्हें,
होगा वही जो तुम चाहोगे
तूफान नहीं तोड़ पाया तुम्हें।
तो यह वायरस क्या बिगड़ेगा तुम्हें,
बंद किस्मत को भी जगाना है तुम्हें,
अपना चिराग आसमान में
जलाना है तुम्हें।
वंदना कुमारी
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कविता