नारायण का प्यार सदा हो , पल में बनते काम हजार ।
परम पिता के मानस बेटे , नमन आपको बारम्बार ।।
रिपु छिपकर ललकार रहा है , नारदजी अब सुनो पुकार ।
आये हैं हम शरण तिहारी , जग में मचती हाहाकार ।।
बन के प्रेरक राह दिखादो , चाहें तुमसे प्यार अपार ।
बाधा,शंका दूर कराते , भव से नौका होगी पार ।।
राज -पाट की चाहत ना है , सुख बरसे खुश हों परिवार ।
कभी भरोसा टूटन पाये , मन में साजे सच्चा द्वार ।।
डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज"
अलीगढ़ , उत्तर प्रदेश
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कविता