पितृ दिवस की पावन बेला पर " आदरणीय पिता जी " को समर्पित


पितृ दिवस की पावन बेला पर "  आदरणीय  पिता जी " को समर्पित 
पिता जी का स्थान  दिल मे विशेष होता है। 
अपने खून पसीने की ताकत से ही 
परिवार मे खुशियाँ  बीजते है।
इतना सारा जज्बा  परिश्रम करने का
अपने कांधे पर हँस कर जो लेता है।
जिसे पेट की भूख  प्यास न सताती है।
रात दिन परिवार के सपनो को बुनता है।
माँ की  बिंदी लाज हो, हमारे सरताज हो।
आप घर का चिराग,हमारी खुशियो के परवाज हो।
हर रोज ईश्वर  की भांति आप को नमन करती हूँ।
ईश्वर  का रूप हो।
आप हमे बस देते जाते हो।
बिना स्वार्थ  के खुशियो को संजो कर शाम को
घर मे जो लाये......
पिता जी आप के आने से घर की बगिया खिल जाती है।
सौम्य  संस्कारो की महक,जिम्मेदारी उठा कर 
हम सब की देखभाल  करते हो।
अपना ख्याल रखना अक्सर भूल जाते हो।
बस देते ही जाते हो.....
आप से ही घर का कोना कोना महक
जाता है।
आकांक्षा रूपा
 चचरा
कटक ओडिशा

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