मन लाख भटकाये पथ से
अपने लक्ष्य पर अडिग रहे
तिमिर का चारो ओर जोर हो
असफलता मिले यदि
लक्ष्य पर अडिग रहे
जीवन मे कभी हौसलों की
उडान भरने से रूकना मत
सफलता के रवि मे निराशा लोप
हो जाएगी
लक्ष्य के शिखर तक पहुँचने
से पहले कभी रुकना मत
विचारो का मंथन करो
सुविचारो का करो चिंतन
निराशा के समुद्र को पार करो
कभी हार को ना स्वीकार करो
जीत का ध्वज लहलहाने से पहले
कभी रुकना मत....
आकांक्षा रूपा चचरा
( आंक्षी)
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संस्थान-गुरू नानक पब्लिक स्कूल कटक
ओडिशा
पद- शिक्षिका, कवियत्री, समाज सेविका
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कविता