काँच के रिश्ते बनाकर इठलाने वाले
बेशुमार दोस्त बनाकर,निभाने वाले ।
काँच समझ कर हीरे को फेकने वाले ।
काश! दोस्ती की परख कर लेते।
जिसे काँच समझ कर तोड़ देते हो।
उस दिल मे तेरी यादे रहती है।
हीरे सी दोस्ती को समझ लो यारो।
मुठ्ठियो मे काँच के रिश्ते भर कर ।
दिल मे चुभन देने वालो।
हीरे को फेक दिया तुमने।।
काँच के रिश्तो की खातिर।
जिसे काँच समझ कर तोड़ना चाहा
तुमने .....
तेरी दुआओ की गुल्लक थी।
जो टूट कर ,बिखर कर
तेरा ही भला करेगी
सुख........
काँच समझने की भूल न कर।
अनमोल रिश्तो को खोने से ङर
मेरे अहसासो को रौद कर
मेरे जज्बातो की चिता जलाने के बाद ......
. जब एक सुकून का झोका तुम्हे छू लेगा।
भीनी भीनी मुस्कान तेरे मुख पर आने लगे।
समझ लेना जन्नत से दुआए भेजी है।
तेरी आँखो मे नमी न आए कभी।
दुआ करते रहेगे, मर कर भी ऐ दोस्त
हवाओ मे तेरी लिए दुआ बनकर
बिखरते रहेगे।
आँख तेरी नम ना हो , तुझे बेपनाह प्यार करते रहेगे।
मेरे वजह से तेरा दिल न दुखे ।
मुस्कुराते रहना , मेरे जग से जाने के बाद।
अपनी मुठ्ठियो मे भरे काँच के रिश्तो के साथ।।।
तेरे दिल मे जगह ना बना पाये।
दोस्ती निभाने की कोशिशो के साथ।
मेरा होना ना होना तेरी जिदगी मे
तुम खुश रहो काँच के रिश्तो के साथ। ।
यकीन हमे भी है।
एक दिन तड़पोगे तुम भी ढेर सारे काँच के रिश्तो
को लेकर ।
हमे खोने के बाद।।
दुआ हमारी है खुश रहो काँच के रिश्तो के साथ।।
आंक्षी
आकांक्षा रूपा चचरा
कटक ओडिशा
संस्थान-गुरू नानक पब्लिक स्कूल कटक
ओडिशा
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कविता