पल दो पल की जिंदगी में कुछ ऐसे लम्हे होते हैं ।
जिनमें हम कुछ पाते हैं तो हम कभी क्या खोते हैं ।।
पीर जगत के देख सुन जब जब दिल रोने लगता है ।
उन लम्हों में कुछ नया कुछ पुराना याद आने लगता है ।।
कुछ प्रेम सम्बन्ध कुछ कटु सम्बन्ध याद आने लगते हैं ।
एक अनोखी डायरी के सारे पन्ने खुलने फिर से लगते हैं ।।
बचपन से बुढ़ापे तक के किस्से फिर से याद आने लगते हैं ।
दो अनजान दिलों के फांसले नजदीक से आने लगते हैं ।।
कुछ खुशगवार लम्हे जिन्दगी की यादों में ढल जाने लगते हैं ।
कुछ कड़वी यादों के किस्से भी मिलकर अजमाने लगते हैं ।।
लम्हे तो लम्हे ही होते हैं जो जीवन में ढल जाने लगते हैं ।
कभी कभी शब्द जाल बनकर किताबों में छट जाने लगते हैं ।।
वक्त की काली लाल नीली स्याही जब पन्नों को रंगने लगती है ।
शब्दों के मोती बनकर फिर लम्हे सुन्दर हार बन जाने लगते हैं ।।
जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
चन्द्र शेखर शर्मा मार्कंडेय जनपद अमरोहा उत्तर प्रदेश
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कविता