इन दिनों
भिन्न भिन्न तरह के कीट पतंग
करते हैं सबको तंग
छूकर अंग अंग
कर देते हैं ध्यान भंग
बुरा लगता है बहुत
पर करें क्या
प्रकृति के संग
तादात्म्य स्थापित कर
लड़ते हैं जीवन का जंग
बरसात के दिनों में
जब झमाझम बारिश होती है
मन मयूर नृत्य करने लगता है
किसान खेतों में हल चलाता है
धान के बीज डालकर
खुश हो कर गीत गाता है
जब बीज उगकर पौध बन जाता है
खेत भी हरा। भरा हो जाता है
वर्षा ऋतुओं की रानी है
जो धरती को स्वर्ग बनाती है
जो जल का स्रोत है
जो फसल को जीवन देती है
अनाज का दाना दाना
भूख मिटाती, खुशियां लेकर आती है
स्वरचित
पद्म मुख पंडा
ग्राम महा पल्ली
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कविता