मजबूर नहीं मजदूर हूं

मजबूर नहीं मजदूर हूं

शिव साक्षी हैं मेरे मेहनत भरपूर मैं हरपल करता हूं ।
अपना जीवन देकर मैं देखो सबको खुशहाल करता हूं ।।
टूटी-फूटी चारपायी मेरी बदहाली की कहानी सुनाती है ।
मगर मेरी मेहनत भी देखो तो कितनों को सफल बनाती है ।
मैं मजदूर भले ही कहलाता मगर मजबूर नहीं कहाना चहाता हूं ।
अपनी मेहनत के बलबूते  मैं आकाश से गंगा लाना चाहता हूं।।
भूख प्यास से विकल होकर जब सूखी धरती पर ही सो जाता हूं ।
लगता है जैसे खुद के  जीवन में मैं बंजर भूमि सा बन जाता हूं ।।
फिर भी हौसला क़ायम है जीते जी अपना धर्म तो निभाता हूं ।
गरीबी है जीवन संगिनी मेरी मगर हाथ कभी नहीं मैं फैलाता हूं ।।
हाड़तोड़ मेहनत करके टूटी फूटी चारपाई पर ही मैं सो जाता हूं ।
आत्म सम्मान का धनी मैं मजबूर नहीं मजदूर ही तो कहलाता हूं ।।
छली कपटी और धूर्त जो लुटेरे मेरे हक़ पर डाका डाला करते हैं ।
कोई उनसे भी तो पूछें जरा वे कौन  सा अन्न खाया करते हैं ।।
शोषण के चक्रव्यूह में घिरकर अक्सर मैं गरीब ही रह जाता हूं ।
शिव साक्षी है मेरे अपना तन-मन देकर बहुतों को सफल बनाता हूं।
कुछ फूल खिले मेरे जीवन में भी हरपल यही आस मैं लगाता हूं ।
अपनी मेहनत के बलबूते मैं इस धरती का उपवन सजाता हूं ।‌।
मैं गरीब मजदूर भले ही कहलाता मगर अपनी मेहनत का खाता हूं।
टूटी-फूटी चारपायी पर सोकर मैं स्वर्ग लोक का आनन्द उठाता हूं ।

जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
चन्द्र शेखर शर्मा मार्कंडेय 
जनपद अमरोहा उत्तर प्रदेश 

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post

Contact Form