परिवर्तन ही समय का नियम है हर आदमी को समय के साथ बदलना चाहिए सामाजिक बुराइयों के खिलाफ समय के साथ साथ लड़ना चाहिए आने वाली पीढ़ी के लिए संस्कार महत्वपूर्ण होंगे
मैं एक सुझाव देना चाहती हूँ कि शादी विवाह बिना दान दहेज के भी किए जा सकते हैं जैसे बहुत से देशों में किए जाते हैं| ये दहेज का रिवाज लड़की के फायदे के लिए शुरू किया गया था लेकिन आज देखा जाए तो कोर्ट में 90% केस दहेज के होते हैं..मेरा तो यही सुझाव है कि इसके लिए एक महापंचायत रखी जाए और वहाँ यह फैसला लिया जाए कि विवाह में कोई दहेज लिया जाएगा ना दिया जाएगा.. शादी में शामिल लोगों के लिए खाने का प्रबंध किया जाए और उसके लिए जो खर्च हो, जरूरत पडने पर उस खर्च को दोनों पक्षों में आधा आधा बांटा जाए.. अभी कुछ लोगों को मेरा ये सुझाव शायद अच्छा ना लगे क्योंकी सबको ये लगता है की ये शायद संभव नहीं होगा इसके लिए मेरे पास एक उदाहरण है.. आप लोगो ने सुना होगा और देखा भी होगा की कुछ गांव में शादी के समय डीजे प्रतिबंध है घुड़चढ़ी पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है ये सब पंचायत के माध्यम से हुआ है.. कुछ लोग सोचते हैं की सरकार को दहेज के लिए नियम बनाने चाहिए लेकिन कहीं न कहीं इस मामले में सरकार फेल है जब तक लोग अपने स्तर से नियम नहीं बनते तब तक ये नियम भी पालन नहीं करते कयोंकि सरकार के नियम लोगो को पसंद नहीं आते उन्हें लगता है कि ये नियम उन पर जबर्दस्ती थोपे जा रहे हैं। इसलिए ही मैंने ये सुझाव दिया है .. शुरुआत कहीं से करनी ही पडेगी तभी ये बुरी समाज से दूर होगी .. अमीर गरीब सब लोगों के लिए नियम बनाए जाएंगे तो किसी गरीब को शर्म या झिझक भी महसूस नहीं होगी कि दहेज ना देने समाज में उनकी इज्जत कम हो रही है
पिंकी राठौर एडवोकेट (टैक्स कंसलटैंट)
अध्यक्ष आॅल इंडिया बंजारा सेवा संघ
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