अचानक ही मुझे शादी करनी पड़ी,
सोचा भी न था, आएगी ऐसी घड़ी,
माता पिता दोनों का आदेश था,
मां थी अपने ही जिद पर अड़ी!
जिस कन्या का विवाह हो रहा था,
उसका वर अपने फैसले पर रो रहा था!
पता चला कि किसी और से करता है प्यार,
उसे भी जबरन शादी के लिए किया था तैयार!
विवाह समारोह में मच गई थी खलबली,
दोनों पक्ष में लात घूंसे लाठियां भी चली!
पुलिस को किसी ने कर दिया इत्तला,
तब कहीं जाकर, वह महा युद्ध टला !
दरअसल कन्या के पिता थे मेरे मामा,
मेरी मां के बड़े भाई नाम था सुदामा!
बेटी की शादी करनी ही थी इसलिए,
अपनी बहन को उसने अनेक वायदे किए!
मेरी बेटी को अपनी बहू रानी बना लो,
आज तो मेरी प्रतिष्ठा दांव पर है, बचा लो!
फिर मुझे मां की ममता ने किया लाचार,
शादी करनी पड़ी, था लेकिन बेरोजगार!
अब इसे घर बसाना कहें कि एक अफसाना,
ज़िन्दगी की सच्ची कहानी है, क्या घबराना?
एक सामाजिक समस्या को रेखांकित करने का प्रयास किया है।
पद्म मुख पंडा ग्राम महा पल्ली
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कविता