आप मेरे हो...

आप मेरे हो...

कही कोई मेरा दोस्त 
कही कोई मेरा दुश्मन
मगर मुझको है सच में
सभी लोगों से बहुत प्यार।

करे क्या हम अब,
उन सभी लोगों का।
जिन्होंने दिया है, 
हमें बहुत प्यार।
इसलिए कविता गीत और लेख,
मोहब्बत पर ही लिखता हूँ।
और लोगों के दिलो में,
बसने की कोशिश करता हूँ।।

निभाता हूँ दिलसे हर रिश्ता,
तभी तो जल्दी अपनो का 
बन जाता हूँ।
बड़े ही प्यार से हर पल,
याद उन्हें सदा करता हूँ।
क्योंकि मैं अपने मित्रों को,
संदेश स्नेह प्यार का देता हूँ।
 इसलिए उनके हृदय में 
जल्दी बस जाता हूँ।।

आप क्या रखते है,
 मेरे बारे में अपनी राय।
और कुछ तो सोचते होंगे।
की किस तरह का 
ये इंसान है।
जो लोगों के दिलो में 
बहुत जल्दी बस जाता है।
और मोहब्बत के गीतों से 
 सबका दिल बहलाता।
और सपनो की दुनियां में  
लोगों को ले जाता है।। 

जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन "बीना" मुम्बई

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