भला तुमसे और क्या मैं मांगता हूं
मैं तो सिर्फ तुमसे वक्त मांगता हूं
तुम इस दिल को इतना भा गई
कि तुम मेरी आदत सी बन गई
तुम मेरे लिए इतना जरूरत हो गई
की तुम मेरे जीवन की सांस बन गई
हर वक्त सिर्फ तुम्हे देखना, सुनना
ही इस दिल को सुकून सा लगता है
मैं तो आखरी सांस तक इंतजार कर लेता
अगर तुम्हारी याद मुझे तड़पाती नहीं, रुलाती नहीं
मैं तुम्हे जरा भी कभी भी तंग नहीं करता
बिना देखे , सुने अगर जान मेरी तड़पती नहीं
शायद तुम्हे मुझसे दूर रहना अच्छा लगता है
लेकिन यही दूरी मुझे पल पल जान मरती है
ना ही तुम्हे करीब रखना मेरे बस में है
और ना ही मौत को करीब लाना मेरे बस में है
तुम मुझसे दूरी बनाना चाहते हो
तुमसे दूर रहने का एक ही उपाय है
मौत को करीब लाना होगा
सांस को यहीं इसी पल अब रोकना होगा
शायद तभी तुमसे मैं दूर रह पाऊंगा
©रूपक
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कविता