माँ बाप के प्रति सोच ये है तो.......

माँ बाप के प्रति सोच ये है तो.......

वैसे तो इस कलयुग में किसी से भी सत युग जैसे व्यवहार कि उम्मीद करना बहुत ही बड़ी बेईमानी होगी। परन्तु फिर भी हम सोच सकते है, कि हमने अपने बच्चों को तो बहुत ही अच्छे सँस्कार दिये हैं, तो हम ये उम्मीद कर सकते है, कि वो शायद एक दम से हम लोगों कि उपेक्षा न करे। परन्तु इस कलयुग कि महाभारत को देखकर डर तो लगता ही है। एक बात और अक्सर हमारे समाने हमेशा ही आती है, कि जैसे हमने कर्म किये है या जैसा हमने अपने माता पिता के साथ बर्ताव किया है, वैसा ही तो हमें फल नहीं मिल सकता है। हमने तो सदा ही अपने माँ बाप के प्रति अपने दायित्व का निर्भय पूरी निष्ठां और लगन के साथ निभाया है। जो शायद इस कलयुग में किसी भी बच्चों को करना बहुत ही कठिन और जटिल कार्य है या हो सकता है। फिर भी मैं लिख रहा हूँ, कि शायद कोई इस कलयुग में श्रवण कुमार हो या बन सकता है, यदि वो ये सब कार्य करने की कोशिश करे तो :- 

माता पिता के चरणों
में ही चारों धाम हैं। 
जो इस बात को माने, 
वो ही सच्ची संतान है। 
बिना मातापिता की सेवा के, 
निष्फल यात्रा चारोंधाम की। 
क्योंकि माता पिता के  
चरणों में ही चारों धाम है। 
जो इस बात को समझे, 

वो ही सच्ची संतान है।। 
जो बच्चे दिन की शुरुआत, 
कुछ ऐसे करते है। 
सबसे पहले उठकर मातापिता के, 
चरणों को स्पर्श करते है। 
चारों धाम के तीर्थ का सुख 
घर बैठे स्वयं मिला जाता है। 
क्योंकि माता पिता के 
चरणों में ही चारोंधाम है। 
जो इस बात को माने, 
वो ही सच्ची संतान है।। 

सुखद रहेगा उनका जीवन, 
जो माता पिता को पूजते है। 
हर सफलता उनके कदमो 
को सदा ही चूमती है। 
क्योंकि माता पिता का आशीर्वाद  
अपने आप में ही बड़ी जान है। 
माता पिता के चरणों 
में ही चारों धाम है। 
जो इस बात को माने, 
वो ही सच्ची संतान है।। 

नहीं हो रहा विश्वास तो,
करके देख लो एक बार। 
स्वंय ही मान जाओगें,
और मातापिता की भक्ति का 
ये बहुमूल्य उपहार तुम पाओगें। 
कैसे काया पलटती है 
बस देखते ही रह जाओंगे।
और सुख, शांति ,समध्दि का ये
अनोखा उपहार बिन मांगे पाओगें। 
क्योंकि माता पिता के 
चरणों में ही चारों धाम हैं। 
जो इस बात को माने, 
वो ही सच्ची संतान है।। 


*पुन:* सभी महानुभावों से मैं अनुरोध और विनती करता हूँ, की मत करो उपेक्षा अपने जन्म देने वाले माता पिता की, मत छोड़ो 

उन्हें किसी भी आश्रमों में, आप बहुत ही भाग्यशाली और भाग्यवान हो जिनको ये अवसर मिल रहा है, की कम से कम आपको ये सौभाग्य मिला हैं, की आप अपने जन्म देने वालो की सेवा कर सके। ये अवसर आपको बिना खर्च किये ही घर बैठे आपको मिल रहा है। आप अपने जीवन को सही मायने में जीये और दूसरो को भी जीने दे। 
यदि आपने माता पिता की सेवा पूरी सच्ची लगन से की है तो निश्चित ही आप अपने हर कार्य में सफल अवश्य ही होंगे। क्योंकि आपके माता पिता का आशीर्वाद सदा ही आपके साथ और सिर पर रहेगा और कहते है की माँ बाप की दुआओं से बढ़ाकर और कुछ भी नहीं है। इसलिए पहले माँ बाप को आप पूजे उसके बाद ही ....... तभी आप सच्चे और अच्छे इंसान बन सकते हो। 

जय जिनेंद्र देव 
संजय जैन "बीना" मुंबई 

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