आज की हर घड़ी है बहुत खास
खामोशी है इन लवों पर फिर भी
गूंज रही दिल से मेरे यही आवाज
उम्र भर तुम्हारे साथ बिता सकता हूं!
यूंही गर तुम बैठी रहो मेरे पहलू में ,
मेरे पास और होती रहे प्यार की बौछार
ऐसी बारिश में और कोई न हो बस
"मैं , तुम और बरसात "।।
तेरी नज़र मेरी नजर से कुछ कह रही है
दिल की धड़कने बस और तेज हो रही है,
तड़प रहे है लफ्ज़ लवों पर आने के लिए
जो करनी है मुझे तुमसे मेरे प्यार की बात
मेरी चाहत हो तुम तुझे कैसे बताऊं में
रोज खुदा से चाहा बस यही तुमसे हो,
मेरी मुलाकात और कोई न हो बस
"में ,तुम और बरसात" ।।
@प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
मध्य प्रदेश
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कविता