आज हिंदी के हस्ताक्षर साहित्यिक आंदोलन के प्रणेता राजेंद्र यादव की पुण्यतिथि के अवसर पर मै उन को नमन और काव्यात्मक श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं
राजेंद्र यादव
साहित्य आंदोलन के अग्रणी और सशक्त कहानीकार
कवि लेखक आलोचक और उपन्यासकार
कलम के धनी और व्यक्त किए सदा निर्भीक विचार
राजेंद्र यादव है उन का नाम जिसे याद करता सारा संसार
आगरा (उत्तर प्रदेश ) उन का जन्मस्थान
पिता मिश्री लाल यादव माता ताराबाई की सब से बड़ी संतान
बचपन से ही अध्य्यन की ओर रहा रूझान
घर मे ही प्राप्त किया प्रारंभिक ज्ञान
आगरा ,मेरठ ,मवाना और झांसी मे स्कूली शिक्षा पाई
उर्दू , हिंदी और बंगला भाषा मे महारत पाई
आगरा महाविद्यालय से स्नातक की उपाधि पाई
आगरा विश्वविद्यालय से हिंदी मे स्नाकोत्तर की डिग्री पाई
सरकारी सेवा के प्रस्ताव को ठुकराया
इस मे उन का अहम और आत्मसम्मान आड़े आया
साहित्य और लेखन का मार्ग अपनाया
अपनी लेखन को धारदार बनाया
पहली कहानी प्रतिहिंसा को कर्मयोगी पत्रिका ने प्रकाशित किया
कहानी ने पाठकों का अथाह प्यार अर्जित किया
प्रतिष्ठित पत्रिका ज्ञानोदय मे काम किया
नवांकुर साहित्यकारो को अवसर दिया
उन की रचनाओ को पत्रिका मे स्थान प्रदान किया
प्रेत बोलते हुए हैं नामक प्रथम उपन्यास का सृजन किया
समाज मे व्याप्त अंधविश्वास और रूढ़ियों पर करारा प्रहार किया
प्रगतिवाद नारीवाद दलित और वंचित वर्ग को अपने लेखन मे प्रमुख स्थान प्रदान किया
उन की समस्याओ को उजागर किया
इन के रचित उपन्यास सारा आकाश से प्रभावित होकर फिल्म निर्माता-निर्देशक बासु चैटर्जी ने फिल्म बनाई
इस फिल्म ने अपार सफलता पाई
बाक्स आफिस मे खूब धूम मचाई
दर्शको से व्यापक प्रशंसा पाई
प्रख्यात लेखिका मन्नू भंडारी को जीवन साथी बनाया
साहित्यक क्षेत्र मे खूब नाम कमाया
अक्षर प्रकाशन को स्थापित किया
मुंशी प्रेमचंद की पत्रिका हंस को पुनर्जीवित किया
ह॔स का कुशल संपादन किया
साहित्य जगत को अनुपम उपहार दिया
साहित्यिक मित्रो कमलेश्वर और मोहन राकेश के साथ मिलकर साहित्य का उत्थान किया
मित्रता त्रयी साहित्य मंच स्थापित किया
नयी कहानी आंदोलन को सक्रिय किया
अनेक रुसी भाषा की रचनाओ का पठन पाठन किया
चेखव और तरगनेव की रचनाओ का हिंदी भाषा मे अनुवाद किया
पाठक वर्ग को साहित्य सुलभ किया
साहित्यिक क्षेत्र मे अर्जित किए अनेक सम्मान
शलाका सम्मान और यश भारती सम्मान
जीवन मे नही मिला कोई पद्म पुरस्कार
जिस के थे वो सच्चे हकदार
जनता से पाया अथाह प्यार
जनता का प्यार ही सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार
उपन्यास उखड़े हुए लोग मे निर्धन और वंचित वर्ग का सही चित्रण किया
अपनी रचनाओ मे राजनीतिक मुद्दो पर लेखन किया
राजनेताओ पर करारा प्रहार किया
सरकार ने उन्हे प्रसार भारती बोर्ड का सदस्य बनाया
उन के साहित्यिक ज्ञान का लाभ उठाया
हे सर्वश्रेष्ट साहित्य के पुरोधा तुम्हे शत शत प्रणाम
साहित्य जगत मे खूब अर्जित किया सम्मान
अशोक शर्मा वशिष्ठ
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कविता