जादुई पेड़

जादुई पेड़
              
               बाल कविता 
            
जादुई  पेड़ की  अजब कहानी ।
कभी  धूप  कभी गिरता  पानी।

कभीहरा-भरा कभीसुख जाता।
कभी  डाल  से  रूपये  गिराता।
दिन - रात व शुबह - शाम   को-
कोई  भी  जब उधर  है  जाता।

हिलने लगता  था पेड़ मनमानी।
कभी  धूप  कभी  गिरता  पानी।

कभी   हँसता   कभी   है  रोता।
अजब-गजब आवाज  है  होता।
तरह- तरह  के पंछी  बन जाता-
उल्लू  चिल्ह  मैना  कभी  तोता।

सुन  होती   बच्चों   को   हैरानी।
कभी  सुखा  कभी गिरता पानी।

 एक   दिवस  एक   साधु   आये।
 पेड़  पास   निज आसन  लगाये।
 हरि  भक्ति  निज   तपो  बल  से-
 पेड़    जला   कर   राख  बनाये।

खत्म   हुई   नानी   की   कहानी।
बच्चें   सो    गये    चादर    तानी।

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बाबूराम सिंह कवि 
बडका खुटहाँ, विजयीपुर 
गोपालगंज(बिहार)841508

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