साहित्य सेवा धर्म हमारा
लिखते रहना कर्म हमारा
विषय बिना छपे वीरान है कविता
अधरों पर मुस्कान है कविता
कवि हृदय का भान है कविता
उर पटल पर छाप छोड़ती
बिना छपे वीरान है कविता
वाणी का उद्गार है कविता
सुरों की झंकार है कविता
छू लेती है हर हृदय को
बिना छपे वीरान है कविता
तख्तो ताज हिला सकती है
दिलों पर राज करा सकती है
बुलंदियों भरी शान है कविता
बिना छपे वीरान है कविता
अखबारों में असर दिखाती
पत्रिकाओं में प्रखर हो जाती
कवि मंचों की जान है कविता
बिना छपे वीरान है कविता
दिल की बातें दिल तक जाती
मन के भाव सबको पहुंचाती
शब्द शिल्प की खान है कविता
बिना छपे वीरान है कविता
राष्ट्रदीप की जोत जलाते
देशभक्ति का भाव जगाती
आन तिरंगा शान है कविता
बिना छपे वीरान है कविता
सत्ता को संभाले रखती
ओज प्रेम करुण रस लिखती
दरबारों का सम्मान है कविता
बिना छपे वीरान है कविता
दर्द भरा गीत रचती है
प्रेम भरी प्रीत लिखती है
भारती का मान है कविता
बिना छपे वीरान है कविता
रमाकांत सोनी नवलगढ़
जिला झुंझुनू राजस्थान
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कविता