आज खुशियों का दिन आया है
वन उपवन मुस्काया है।
रंग - विरंगे जीव जंतु
और
गीत गाते मेरे बन्धु ;
साज सज्जा से सुसज्जित
घर आँगन मुस्काए हैं।
ढोल नगाड़े है बज रहे
लड्डू गली में बँट रहे।।
अंश आर्या प्रत्याशा
तरु - किट ; धरा- गगन
मृग -भालू ; शहर- नगर
खुशियों से नाच रहे।
मंद सुगन्ध पवन
से
मेरा मन हर्षाया है
देखो! तो
आज इंदिरा का जन्मदिन आया है।
🖋️ विजय पंडा ; घरघोड़ा
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कविता