(प्रेम भक्ति गीत)
जैसे मैं शुरु कर दूं, बांसुरी बजाना,
राधा तुम यमुना किनारे आ जाना।
मैं हूं कन्हैया तेरा प्रेम पुजारी राधे,
अपनी पायलिया बजाने, आ जाना।
राधा तुम यमुना…………
मैं नंदलाल तुमसे, करता एक वादा,
पालन करूंगा सृष्टि की हर मर्यादा।
सखियां तेरी आती हैं तो, आने देना,
तुम मधुवन, रास रचाने आ जाना।
राधा तुम यमुना…………
बड़ा सूना सूना सा पनघट लगता है, बाट जोहता ये यमुना तट लगता है।
देखा नहीं जा रहा है, हाल कदम का,
खन खन कंगना खनकाने आ जाना।
राधा तुम यमुना…………..
रुकना नहीं, चाहे तुम्हें कोई भी रोके,
झुकना नहीं, चाहे तुम्हें कोई भी टोके।
वृंदावन की आज की अंधेरी शाम में,
मेरे संग एक दीया जलाने आ जाना।
राधा तुम यमुना…………..
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
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भक्ति गीत