सफेद मूसली

सफेद मूसली ----विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

       सफेद मूसली को शक्तिवर्द्धक जड़ी बूटी माना जाता है, इसलिए आयुर्वेद में औषधि के रूप में इसका बहुत इस्तेमाल किया जाता है। सफेद मूसली की जड़ और बीज, विशेष रूप से औषधि के रूप में बहुत फायदेमंद होते हैं। इसकी जड़ों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम आदि अत्यधित मात्रा में पाए जाते हैं।
      मूसली  के फूल सफेद रंग के होते हैं। इसकी जड़ मोटी तथा गुच्छों में होती है। इसका कंद  मीठा, कामोत्तेजक और कफ को कम करने में मदद करता है। यह स्तनों में दूध को बढ़ाने में मदद करता है। यहां तक सफेद मूसली मोटापा या ओबेसिटी , अर्श या पाइल्स , सांसों के रोग, खूनी की कमी या एनिमिया में भी लाभ पहुंचाता है। आप इसका लाभ ह्रदय विकार  तथा डायबिटीज  जैसे रोगों में भी ले सकते हैं।
     सफेद मूसली का वानस्पतिक नाम (क्लोरोफायटम बोरिबिलिएनम्)  है। सफेद मूसली (लिलिएसी) कुल का है।
    संस्कृत में -बल्यकन्दा, धवलमूली;
    हिंदी में -श्वेत मूसली;
    इंग्लिश में--- इण्डियन स्पाईडरी प्लान्ट ,वाइट मूसली
     मुशली मधुरी व्रष्या वीर्योष्णा ब्रंहणी गुरुः .
     तिक्ता  रसायनी हन्ति गुदजाणयानिलम तथा  .(भाव प्र )
    गुण--  गुरु ,स्निग्ध ,रस --मधुर तिक्त विपाक --मधुर  वीर्य --उष्ण
   रासायनिक संगठन ---इसमें ऐस्पैरिगिन ,एल्ब्यूमिन युक्त पदार्थ ,पिच्छिल द्रव्य ,तथा सेलूलोज़ होता हैं .मूलचूर्ण में ७७ १/२% जलविलेय भाग ,प्रक्षिप्त अंश १२१/२ %तथा जल ६% होता हैं शुष्क कंद में ८१ ८ 1/२% भस्म मिलती हैं जिसमे चूना होता हैं
    फायदे
    ब्रेस्टमिल्क को बढ़ाने में
     माताओं के स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए सफेद मूसली फायदे का लाभ उठाना चाहिए। इसके लिए सफेद मूसली का प्रयोग इस तरह से करना चाहिए। 2-4 ग्राम सफेद मूसली के चूर्ण में बराबर भाग मिश्री मिला लें। इसे दूध के साथ सेवन करें। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
     दस्त को रोकने में
    सफेद मूसली का सेवन करने पर दस्त की परेशानी से निजात मिल सकता है। 2-4 ग्राम सफ़ेद मूसली की जड़ के चूर्ण  को दूध में मिला लें। इसका प्रयोग करने से दस्त, पेचिश तथा भूख की कमी जैसी परेशानियों में लाभ मिलता है।
     पेट की बीमारी में
    पेट में गड़बड़ी, पेट दर्द, खाना ना खाने की इच्छा, दस्त जैसी समस्याएं होने पर सफेद मूसली का सेवन करें। इसके लिए सफेद मूसली के कंद के चूर्ण का सेवन करना चाहिए। 1-2 ग्राम कंद के चूर्ण का सेवन करने से दस्त, पेट की गड़बड़ी, पेट दर्द और भूख ना लगने की समस्या ठीक होती है।
    मूत्र संबंधी समस्या में
    कई लोग को पेशाब करते समय दर्द होता है। इस रोग में  मूसली बहुत फायदेमंद होता है। मूसली जड़ के चूर्ण को 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे राहत मिलती है।
    सुजाक रोग में
     सुजाक एक तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन से संबंधित रोग है, जो यौन संपर्क के कारण होता है। अगर इसका समय पर इलाज ना किया गया तो नपुंसक होने की संभावना भी रहती है। सफेद मूसली के चूर्ण का सेवन करने से सुजाक में लाभ मिलता है।
    ल्यूकोरिया में
    ल्यूकोरिया महिलाओं को होने वाली एक बीमारी है। इस रोग के कारण महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। आप सफेद मूसली का प्रयोग करके ल्यूकोरिया को ठीक करने में मदद पा सकते हैं। इसको ठीक करने के लिए 1-2 ग्राम सफेद मूसली के कंद चूर्ण का सेवन करें।
    कमजोरी दूर करने में
    कभी-कभी असंतुलित आहार नहीं ले पाने, या फिर अन्य कारणों से लोगों को शारीरिक कमजोरी की शिकायत हो जाती है। इसमें सफेद मूसली चूर्ण का सेवन करने से लाभ मिलता है। सफेद मूसली के कंद के 2-4 ग्राम चूर्ण में मिश्री मिला लें। इसे दूध के साथ सेवन करें। सफेद मूसली का उपयोग सामान्य कमजोरी तथा लिंग से संबंधित कमजोरी दूर करने में होती है।
    शुक्राणु दोष को करे कम
   कई पुरुषों में शुकाणु दोष की सफेद मूसली ----विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल
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       सफेद मूसली को शक्तिवर्द्धक जड़ी बूटी माना जाता है, इसलिए आयुर्वेद में औषधि के रूप में इसका बहुत इस्तेमाल किया जाता है। सफेद मूसली की जड़ और बीज, विशेष रूप से औषधि के रूप में बहुत फायदेमंद होते हैं। इसकी जड़ों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम आदि अत्यधित मात्रा में पाए जाते हैं।
      मूसली  के फूल सफेद रंग के होते हैं। इसकी जड़ मोटी तथा गुच्छों में होती है। इसका कंद  मीठा, कामोत्तेजक और कफ को कम करने में मदद करता है। यह स्तनों में दूध को बढ़ाने में मदद करता है। यहां तक सफेद मूसली मोटापा या ओबेसिटी , अर्श या पाइल्स , सांसों के रोग, खूनी की कमी या एनिमिया में भी लाभ पहुंचाता है। आप इसका लाभ ह्रदय विकार  तथा डायबिटीज  जैसे रोगों में भी ले सकते हैं।
     सफेद मूसली का वानस्पतिक नाम (क्लोरोफायटम बोरिबिलिएनम्)  है। सफेद मूसली (लिलिएसी) कुल का है।
    संस्कृत में -बल्यकन्दा, धवलमूली;
    हिंदी में -श्वेत मूसली;
    इंग्लिश में--- इण्डियन स्पाईडरी प्लान्ट ,वाइट मूसली
     मुशली मधुरी व्रष्या वीर्योष्णा ब्रंहणी गुरुः .
     तिक्ता  रसायनी हन्ति गुदजाणयानिलम तथा  .(भाव प्र )
    गुण--  गुरु ,स्निग्ध ,रस --मधुर तिक्त विपाक --मधुर  वीर्य --उष्ण
   रासायनिक संगठन ---इसमें ऐस्पैरिगिन ,एल्ब्यूमिन युक्त पदार्थ ,पिच्छिल द्रव्य ,तथा सेलूलोज़ होता हैं .मूलचूर्ण में ७७ १/२% जलविलेय भाग ,प्रक्षिप्त अंश १२१/२ %तथा जल ६% होता हैं शुष्क कंद में ८१ ८ 1/२% भस्म मिलती हैं जिसमे चूना होता हैं
    फायदे
    ब्रेस्टमिल्क को बढ़ाने में
     माताओं के स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए सफेद मूसली फायदे का लाभ उठाना चाहिए। इसके लिए सफेद मूसली का प्रयोग इस तरह से करना चाहिए। 2-4 ग्राम सफेद मूसली के चूर्ण में बराबर भाग मिश्री मिला लें। इसे दूध के साथ सेवन करें। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
     दस्त को रोकने में
    सफेद मूसली का सेवन करने पर दस्त की परेशानी से निजात मिल सकता है। 2-4 ग्राम सफ़ेद मूसली की जड़ के चूर्ण  को दूध में मिला लें। इसका प्रयोग करने से दस्त, पेचिश तथा भूख की कमी जैसी परेशानियों में लाभ मिलता है।
     पेट की बीमारी में
    पेट में गड़बड़ी, पेट दर्द, खाना ना खाने की इच्छा, दस्त जैसी समस्याएं होने पर सफेद मूसली का सेवन करें। इसके लिए सफेद मूसली के कंद के चूर्ण का सेवन करना चाहिए। 1-2 ग्राम कंद के चूर्ण का सेवन करने से दस्त, पेट की गड़बड़ी, पेट दर्द और भूख ना लगने की समस्या ठीक होती है।
    मूत्र संबंधी समस्या में
    कई लोग को पेशाब करते समय दर्द होता है। इस रोग में  मूसली बहुत फायदेमंद होता है। मूसली जड़ के चूर्ण को 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे राहत मिलती है।
    सुजाक रोग में
     सुजाक एक तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन से संबंधित रोग है, जो यौन संपर्क के कारण होता है। अगर इसका समय पर इलाज ना किया गया तो नपुंसक होने की संभावना भी रहती है। सफेद मूसली के चूर्ण का सेवन करने से सुजाक में लाभ मिलता है।
    ल्यूकोरिया में
    ल्यूकोरिया महिलाओं को होने वाली एक बीमारी है। इस रोग के कारण महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। आप सफेद मूसली का प्रयोग करके ल्यूकोरिया को ठीक करने में मदद पा सकते हैं। इसको ठीक करने के लिए 1-2 ग्राम सफेद मूसली के कंद चूर्ण का सेवन करें।
    कमजोरी दूर करने में
    कभी-कभी असंतुलित आहार नहीं ले पाने, या फिर अन्य कारणों से लोगों को शारीरिक कमजोरी की शिकायत हो जाती है। इसमें सफेद मूसली चूर्ण का सेवन करने से लाभ मिलता है। सफेद मूसली के कंद के 2-4 ग्राम चूर्ण में मिश्री मिला लें। इसे दूध के साथ सेवन करें। सफेद मूसली का उपयोग सामान्य कमजोरी तथा लिंग से संबंधित कमजोरी दूर करने में होती है।
    शुक्राणु दोष को करे कम
   कई पुरुषों में शुकाणु दोष कीसफेद मूसली ----विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल
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       सफेद मूसली को शक्तिवर्द्धक जड़ी बूटी माना जाता है, इसलिए आयुर्वेद में औषधि के रूप में इसका बहुत इस्तेमाल किया जाता है। सफेद मूसली की जड़ और बीज, विशेष रूप से औषधि के रूप में बहुत फायदेमंद होते हैं। इसकी जड़ों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम आदि अत्यधित मात्रा में पाए जाते हैं।
      मूसली  के फूल सफेद रंग के होते हैं। इसकी जड़ मोटी तथा गुच्छों में होती है। इसका कंद  मीठा, कामोत्तेजक और कफ को कम करने में मदद करता है। यह स्तनों में दूध को बढ़ाने में मदद करता है। यहां तक सफेद मूसली मोटापा या ओबेसिटी , अर्श या पाइल्स , सांसों के रोग, खूनी की कमी या एनिमिया में भी लाभ पहुंचाता है। आप इसका लाभ ह्रदय विकार  तथा डायबिटीज  जैसे रोगों में भी ले सकते हैं।
     सफेद मूसली का वानस्पतिक नाम (क्लोरोफायटम बोरिबिलिएनम्)  है। सफेद मूसली (लिलिएसी) कुल का है।
    संस्कृत में -बल्यकन्दा, धवलमूली;
    हिंदी में -श्वेत मूसली;
    इंग्लिश में--- इण्डियन स्पाईडरी प्लान्ट ,वाइट मूसली
     मुशली मधुरी व्रष्या वीर्योष्णा ब्रंहणी गुरुः .
     तिक्ता  रसायनी हन्ति गुदजाणयानिलम तथा  .(भाव प्र )
    गुण--  गुरु ,स्निग्ध ,रस --मधुर तिक्त विपाक --मधुर  वीर्य --उष्ण
   रासायनिक संगठन ---इसमें ऐस्पैरिगिन ,एल्ब्यूमिन युक्त पदार्थ ,पिच्छिल द्रव्य ,तथा सेलूलोज़ होता हैं .मूलचूर्ण में ७७ १/२% जलविलेय भाग ,प्रक्षिप्त अंश १२१/२ %तथा जल ६% होता हैं शुष्क कंद में ८१ ८ 1/२% भस्म मिलती हैं जिसमे चूना होता हैं
    फायदे
    ब्रेस्टमिल्क को बढ़ाने में
     माताओं के स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए सफेद मूसली फायदे का लाभ उठाना चाहिए। इसके लिए सफेद मूसली का प्रयोग इस तरह से करना चाहिए। 2-4 ग्राम सफेद मूसली के चूर्ण में बराबर भाग मिश्री मिला लें। इसे दूध के साथ सेवन करें। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
     दस्त को रोकने में
    सफेद मूसली का सेवन करने पर दस्त की परेशानी से निजात मिल सकता है। 2-4 ग्राम सफ़ेद मूसली की जड़ के चूर्ण  को दूध में मिला लें। इसका प्रयोग करने से दस्त, पेचिश तथा भूख की कमी जैसी परेशानियों में लाभ मिलता है।
     पेट की बीमारी में
    पेट में गड़बड़ी, पेट दर्द, खाना ना खाने की इच्छा, दस्त जैसी समस्याएं होने पर सफेद मूसली का सेवन करें। इसके लिए सफेद मूसली के कंद के चूर्ण का सेवन करना चाहिए। 1-2 ग्राम कंद के चूर्ण का सेवन करने से दस्त, पेट की गड़बड़ी, पेट दर्द और भूख ना लगने की समस्या ठीक होती है।
    मूत्र संबंधी समस्या में
    कई लोग को पेशाब करते समय दर्द होता है। इस रोग में  मूसली बहुत फायदेमंद होता है। मूसली जड़ के चूर्ण को 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे राहत मिलती है।
    सुजाक रोग में
     सुजाक एक तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन से संबंधित रोग है, जो यौन संपर्क के कारण होता है। अगर इसका समय पर इलाज ना किया गया तो नपुंसक होने की संभावना भी रहती है। सफेद मूसली के चूर्ण का सेवन करने से सुजाक में लाभ मिलता है।
    ल्यूकोरिया में
    ल्यूकोरिया महिलाओं को होने वाली एक बीमारी है। इस रोग के कारण महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। आप सफेद मूसली का प्रयोग करके ल्यूकोरिया को ठीक करने में मदद पा सकते हैं। इसको ठीक करने के लिए 1-2 ग्राम सफेद मूसली के कंद चूर्ण का सेवन करें।
    कमजोरी दूर करने में
    कभी-कभी असंतुलित आहार नहीं ले पाने, या फिर अन्य कारणों से लोगों को शारीरिक कमजोरी की शिकायत हो जाती है। इसमें सफेद मूसली चूर्ण का सेवन करने से लाभ मिलता है। सफेद मूसली के कंद के 2-4 ग्राम चूर्ण में मिश्री मिला लें। इसे दूध के साथ सेवन करें। सफेद मूसली का उपयोग सामान्य कमजोरी तथा लिंग से संबंधित कमजोरी दूर करने में होती है।
    शुक्राणु दोष को करे कम
   कई पुरुषों में शुकाणु दोष की की समस्या होती है, और इसके कारण वे काफी परेशान रहते हैं। शुक्राणु की कमी, पेशाब में जलन आदि रोगों में सफेद मूसली का प्रयोग लाभ पहुंचाता है। आप 2-4 ग्राम मूसली के चूर्ण में, समान मात्रा के शर्करा डाल लें। इसे गाय के दूध के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
    1-2 ग्राम जड़ के चूर्ण में समान मात्रा में मिश्री मिला लें। इसका सेवन करने से कमजोरी दूर होती है, और वीर्य दोष ठीक होता है।
   सफेद मूसली की जड़ के 1-2 ग्राम चूर्ण में बराबर भाग में मिश्री मिला लें। इसका सेवन करने से सामान्य शारीरिक दुर्बलता और शुक्र-दुर्बलता की परेशानी ठीक होती है।
     गठिया के दर्द में
    गठिया के लिए सफेद मूसली बहुत फायदेमंद होता है। पतंजलि के अनुसार, सफेद मूसली के कंद को पीसकर लगाने, या सफ़ेद मूसली चूर्ण  का सेवन करने से गठिया के दर्द से आराम मिलता है।
     कामेच्छा को बढ़ाने में
कई बार काम के तनाव के कारण, या किसी शारीरिक समस्या के कारण, या फिर दवा के साइड इफेक्ट के कारण सेक्स करने की इच्छा में कमी आ जाती है। सफेद मूसली के साथ, समान मात्रा में गुडूची सत्त्, कौंञ्च बीज, गोखरू, सेमलकंद, आँवला तथा शर्करा लें। इनका चूर्ण बना लें। इसे 2-4 ग्राम की मात्रा को घी तथा दूध में मिलाकर पीने से सेक्स करने की इच्छा बढ़ती है। पुरूषों के इस यौन समस्या में सफेद मूसली का उपयोग बहुत लाभकारी होता है।
    उपयोगी भाग
    आयुर्वेद में सफेद मूसली के कंद, जड़ और बीज का प्रयोग औषधि के लिए सबसे ज्यादा किया जाता है।
   विशिष्ठ योग --- मुशलि पाक ,मुशलयादी योग  
       2-4 ग्राम दूध या पानी से
    विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन  संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104  पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026  मोबाइल  ०९४२५००६७५३ 

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