मां बहू बेटी बहन चाची
दादी का हर रूप है नारी।
कभी बनाती खाना तो
कभी जाती है ऑफिस ये नारी।।
कभी अफ़सर तो कभी बहू
की जिम्मेदारी निभाती है ये नारी।
हर संघर्षों पे तलवार चलाती
झांसी की रानी है नारी ।।
चंडी की अवतार है नारी
दुष्टों पर संघार है नारी।
हर एक घर की शान है नारी
बढ़ाते सभी का मान है नारी।।
जग की कर्ता धर्ता है नारी
कैसे करूं बखान मैं नारी।
देवियों की मूरत है नारी
सारे जग में महान है नारी।।
माता बनकर बरसाती
ममता का भंडार हैं नारी।
सास बनकर बताती है
हर जनम मां का रूप है नारी।।
बेटी बनकर दिखाती है
पापा का स्वभिमान है नारी।
बहु बन सेवा करती है
ससुराल की अभिमान है नारी।।
बनकर पत्नी दिखाती है
पति जीवन की ढाल है नारी।
कभी बहन बनकर करती
भईया की पक्षधर है नारी।।
जय हो जय जय जय नारी
जय हो जय जय जय नारी
रचनाकार_ योगिता साहू,
जिला _धमतरी ,छत्तीसगढ़
Tags:
कविता