विजयी विश्व तिरंगा
75 वर्ष की आजादी,मिलकर सभी मनाएं हम,
घर घर में तिरंगा,आओ मिलकर फैराएँ हम।
मान यही है अभिमान,हर भारतीय की जान है,
झण्डा ऊँचा रहे हमारा,वंदे मातरम गाएँ हम।
तीन रंगों से सजा हुआ यह,मध्य चक्र घूमता है,
लेकर हाथों में तिरंगा,आजादी जश्न मनाएँ हम।
केसरिया है भाव समर्पण, हरा रंग ख़ुशहाली का
स्वेत रंग सिखाता शालीनता,इस परन्यौछावर हो जाँय हम।
चक्र सिखाये आगे बढ़ना, कर्तव्य पथ पर डटे रहना,
ले कर हाथों में तिरंगा ,बच्चे -बच्चे को जगाएँ हम।
भारत का ये राष्ट्र ध्वज, यूँ हीं सदा आसमान रहे,
आन-बान मर्यादा में सब,तिरंगे में रंग जाएँ हम।
कभी नही हम झुकने देंगे,जान भले ही जाती जाए,
तेरे लिए ही जीते रहेंगे,कसम तिरंगे की खाएँ हम।
मातृभूमि का गौरव है तू,तू ही हमारी शान है,
आजादी का उड़ा तिरंगा,घर- घर फैराएँ हम।
मिटेंगे देश के खातिर,कसम शहीदों की खाते है,
नित उर यह भाव धरें,जन्म इस माटी में पाएँ हम।
नमन करें उन वीरों को,श्रद्धा सुमन अर्पित करें,
आजादी जिनसे मिली आज ,उनके गीत गाएँ हम।
भारत का कोना-कोना, आज खुशियों से महक रहा,
भाँति भाँति के फूल भले,इक माला में गुँथ जाँय हम।
स्वरचित:--
सन्नू नेगी
गौचर, चमोली, उत्तराखंड
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कविता