मेरी छोटी बहना

मेरी छोटी बहना
प्यार करना गुनाह् तो नहीं है हर कोई इस लाइलाज बीमारी से ग्रस्त है । चाहे किसी उम्र की नर नारी हो I पर अंधे प्यार का अंजाम सदा ही दु:खदायी रहा है । इतिहास उठाकर देख लो कभी प्यार पर स्थित बैवाहिक जीवन खुशहाल नहीं रहा है । प्यार का नशा जब वासना की दारिया से बह जाती है तब प्रेमी को प्रेमिका की हर चाल बात कार्य पर गुस्सा और खोट लगने लगता है । और बात बात में गाली ग्लौज मार पीट जान लेवा हमले व कोर्ट कचहरी तक बात पहुँच जाती है और अंजाम नारी की जीवन एक कटी पतंग सी हो जाती है I ना वह मायके वालों को पसंद आती है अौर ना ही पीहर वाले को I और जिन्दगी तब गन्दे नाली की रेंगती कीड़े जैसी हो जाती है ॥
यहाँ सोंचने वाली बात यह है कि जो माता पिता आपको जन्म दिया पाल पोषकर इस लायक बनाया वो क्या कभी आपकी जिन्दगी से खिलवाड़ करेगा ?कभी नहीं । हर पिता की बेटी आन बान शान होती है और आपकी सही सलामती के लिये जग से टकराने की ताकत रखता है I आप उस घर की इज्जत हैं इस लिये उस घर की इज्जत से कभी खिलवाड़ ना करें । जो लड़का आपके लिये जीने मरने की कसम खाता है वो हवश का भूखा है ना कि आपके प्यार का । प्यार का नाटक उनका पानी के बुलबुले की तरह है जो तन की भूख मिट जाते ही पानी की सतह पर आकर मिट जाता है I
दूसरी बात अगर आपके तन को प्यार की भूख है तो अपने मजहब अपने धर्म के लोगों से ही मेल जोल बढ़ाई जाय ना कि गैर मजहब के व्यक्ति से । अगर आपकीप्यार सजातीय से होता है तो वहप्यार फलीभूत हो सकता है बर्शर्ते कि इस बात कीजानकारी अपने अभिभावक को दिया जाय व दोनो परिवार की सहमति से व्यवस्थित शादी व्याह हो पाये ।
गैर लोगों से प्रेम मोहब्बत की चक्कर में पड़कर ना अपनी जिन्दगी बरबाद करें और ना ही पिता जी की इज्जत को I 

आलेख = उदय किशोर साह
पत्रकार _ दैनिक भास्कर जयपुर बाँका बिहार

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