कलि में कैसे धर्म बचेगा....


             कलि में कैसे धर्म बचेगा....
          

छल-कपट,व्देष-दम्भ का जन-जन मैं संचार हुआ है। 
कलि में कैसे धर्म बचेगा अस्त -व्यस्त संसार हुआ है।। 

            सज्जनभी कलियुगमें मित्रों, 
            दुर्जन दिग्गज आज बना है। 
            पदलिप्सा व निज स्वार्थ में ,
            अंदर- बाहर खूब सना है।
 
सत्य पड़ा है चुप्पी साधे, मानवता बिमार हुआ है। 
कलि में कैसे धर्म बचेगा अस्त -ब्यस्त संसार हुआ है।

              बिना अर्थ के माऩव कैसा? 
              मानवता को लाना होगा -
              प्यार एकता की डोरी में, 
              सबको बँध जाना होगा।
 
प्रेम सत्य विश्वाश बिना कब,जगती का उध्दार हुआ है। 
कलि में कैसे धर्म बचेगा अस्त -ब्यस्त संसार हुआ है।।  
                   
              जर्जर वीणा के तारों को, 
              फिर से तुम्हें सजाना होगा। 
              अंतरध्वनीसे जनमानस को, 
              दीपक राग सुनाना होगा।
 
निष्ठा की रोली चन्दन से, माँ का नित श्रृंगार हुआ है।
कलि में कैसे धर्म बचेगा, अस्त -व्यस्त संसार हुआ है।
-----------------------------------------------------------------
बाबूराम सिंह कवि ,गोपालगंज,बिहार 
    मोबाइल नम्बर-9572105032
------------------------------------------------------------------

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post

Contact Form