कर्तव्यों पर आज भी खरा उतरता शिक्षक : शिक्षक दिवस पर विशेष
पुरातन समृद्धशाली भारत में शिक्षक की महत्ता पूर्व से रही है। समय के साथ बढ़ते संसाधनों आवश्यकताओं के मध्य शिक्षा एवं शिक्षक की सामाजिक एवं शासकीय प्रस्थिति में आवश्यकतानुसार तीव्र परिवर्तन भी हुए।सामाजिक राष्ट्रीय अपेक्षाओं के साथ विस्तृत जवाबदेही सुनिश्चित कर परिवर्तनशील समय के साथ शिक्षकों के कार्यों कर्तव्यों का दायरा भी बढ़ता गया । प्रशासन के मापदंडों में खरा उतरता शिक्षक को कार्यों दायित्वों के दायरे में बांधने का हर सम्भव प्रयास किया गया है ; व शिक्षक भी सदैव विविध रूप से किए गए आंकलन पर खरा उतरा है।स्कूली शिक्षा में जमीनी स्तर पर कुछ वर्षों से व्यापक परिवर्तन देखने को मिला।सरकार ने वेतन भत्ते में सकारात्मक रुख दिखायी। किंतु ; बढ़ती योजनाओं के मध्य उसे एक प्रयोगशाली शिक्षक बनाने की पुरजोर कोशिश भी जारी रखी है।यह छात्रों की आवश्यकताओं की समयानुसार मांग रही है? या सरकार की महत्वाकांक्षा को पूर्ण करने का निर्णय रहा ? आज छात्रों को सफलता दिलाने की जिम्मेदारी के साथ ; एक दर्जन योजनाओं को छात्रों व विद्यालय पर क्रियान्वित करना आवश्यक हो गया है। सदैव से सरकार , समाज, प्रशासन के प्रमुख अंग रहे शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। किंतु ; उसे आज तक आजादी के 75 वर्ष बाद भी स्वतंत्र कार्य या अभिव्यक्ति की आजादी नहीं मिली। अनुशासन से लेकर परीक्षाओं में सफलता दिलाने तक एवं जनगणना से लेकर मतगणना तक की सफर शिक्षक बड़ी जिम्मेदारी पूर्वक तय करता हुआ सदैव ज्ञान स्रोत का बिंदु बना हुआ है। शिक्षकों से समाज की अपेक्षा सदैव से जुड़ी रही व जुड़ी रहनी भी चाहिए ताकि ; ज्ञान विज्ञान से स्वयं को शिक्षक पोषित रख सके एवं एक दिशा रेखा तय करने की क्षमता बनी रहे।जनतंत्र भारत में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका से इंकार नही किया जा सकता क्योंकि शिक्षक ही हैं ; जो अभिव्यक्ति सहित सामाजिक ,राष्ट्रीय गतिशीलता के गुण छात्रों को सिखाता है। यदि भारतीय प्रजातंत्र आज मजबूत है ; तो कारण यह भी है की किसी भी विषयवस्तु पर स्वंत्रतता पूर्वक बोलने या अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की आजादी मिली हुई है।स्कूली शिक्षा से महाविद्यालयीन शिक्षा तक में शिक्षक संवर्ग की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।बालक से लेकर मतदाता बनने तक की सफर में वह साथ रहा है।शिक्षक को सदैव ज्ञान बांटना है ; उसके लिए हर दिवस "शिक्षक दिवस" है क्योंकि उसे हर दिवस ; हर समय दूसरों को आलोकित करने का सक्रिय प्रयास जारी रखना है।आज भारत वर्ष के प्रथम उपराष्ट्रपति व द्वितीय राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्मदिवस है जिन्होंने ; उक्त दिवस को राष्ट्र के शिक्षकों के नाम पर समर्पित किया।जिनको सादर सम्मान से याद कर शिक्षक जगत के लिए एक विशेष दिन सुनिश्चित करते हुए उनके कार्यों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं ।यह तो सत्य है की ; शिक्षक अपने ज्ञान से आलोकित कर , वर्तमान विविध संदर्भों पर कार्य करते हुए जीत दर्ज कराता रहेगा किंतु शिक्षा ; शैक्षणिक योजनाओं के नाम पर बोझ ढोता हुआ अपनी गरिमा को समाज के समक्ष बचा पावेगा यह आज भविष्य के लिए चिंतन का विषय हो गया है।
विजय पंडा
रायगढ़
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