आस्था पर चोट

आस्था पर चोट

किसी विचारक के किसी पोस्ट पर यदि किसी व्यक्ति की आस्था पर चोट पहुंचती है तो यह विचारणीय और चिन्ता का विषय है। यदि किसी व्यक्ति की आस्था दृढ़ है तो उसे किसी भी सूरत में चोट नहीं पहुंच सकती है। आस्था यदि कच्ची है तभी चोट पहुंचती है। हमारा विश्वास और ज्ञान यदि अभेद्य है तो फिर कोई उसे कैसे हिला सकता है?
आज हमारे देश में अनेक विचारक और ज्ञानी पुरुष हैं जो अपनी अपनी तरह से जीवन जीने की कला सिखाते हैं। व्यक्ति उनकी बातों को सुनता है और फिर मनन करता है कि सत्य क्या है और कौन सी बात गले नहीं उतर रही है?
ओशो रजनीश जी कहते हैं कि जो भी सुनो उसे ज्यों का त्यों, बिना विचार किए आत्मसात न करो! सुनी हुई बातों पर ध्यान केंद्रित कर गहराई से विचार करो और फिर आत्मसात करो। प्रकृति ने मनुष्य को सहज बुद्धि शक्ति प्रदान की है जो एक वरदान के सदृश है। भेड़ चाल से सिर्फ़ हानि होती है और जीवन कष्ट में आ जाता है। यह बात सभी क्षेत्र में लागू होती है। 
मानवता ही सभी धर्मो का मूल है। हम हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई पारसी जैन बौद्ध के रूप में बहुत नुकसान कर चुके हैं, यदि कोई ईश्वर है तो सभी के लिए है और नहीं है तो फिर किसी के लिए भी नहीं है। धर्म कर्म, न्याय, अधिकार किसी की भी बपौती नहीं है। यदि देश का विकास होगा तो वह मानवता के मार्ग पर ही संभव है। भेदभाव, अन्याय, अकारण उत्पीड़न, ठगी, हत्या और बलात्कार सदैव निन्दनीय है।
आने वाला समय सुखकारी, प्रगतिशील और बंधुत्व भाव से परिपूर्ण हो, यही आशा करते हैं। तथास्तु।
पद्म मुख पंडा ग्राम महा पल्ली जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़

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