समाज एक नजर में
मेरे सीने में नही तो तेरे सीने में भी हो सही ।
समाज का जज़्बा तो हमे रखना ही चाहिए ।।
सुख - दुख के भागीदार आपस में हम रहेंगे ।
समाज हित में हमें कुछ तो करना ही चाहिए।।
समाज से कट कर हम कब तलक रहैंगे यारों ।
इक दिन कंधा भी अपनो का लगना ही चाहिए ।।
जीते जी कुछ करना है तो समाज के लिए करो ।
यथा संभव हो अपनो के काम आना ही चाहिए।।
जिंदगी में यादगार कोई काम ऐसा कीजिए ।
पीढ़ियों तक जुबां पे नाम आना ही चाहिए।।
धन दौलत शोहरत आखिर यहीं रह जानी है ।
अपनी हयात में नेक पहल करना ही चाहिए ।।
अच्छे अखलाख हीरे जवाहरात से बड़ा धन है ।
बाद मौत के इंसान पहचाना जाना ही चाहिए ।।
बेदारी लाना भी अशरफियों से बढ कर काम है ।
कोम की खातिर अदना हकीर बनना ही चाहिए ।।
कोम को एक जाजम पर बिठाना भी इबादत है ।
नेक काम में कांटो पे चलना पड़े चलना ही चाहिए।।
छोटा बड़ा कोई नहीं सब एक जाजम पर समान है ।
"नाचीज़"ये जज़्बा हरेक के जहन में आना ही चाहिए।।
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नाचीज़ बीकानेरी मो . 9680868028
समाज के अंतिम छोर मे बैठे तक ये संदेश पहुंचाए।
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कविता