आलस करने से सदा...

आलस करने से सदा...

आलस करने से सदा,गयी सफलता जान।
जिससे जीवन में मिले,सदैव दुख अपमान।।

आलस सफलता बाधक,साधक बन मशहूर।
त्याग  इसे  झटपट  मना,कंचन करता धूर,।।

आलस कायरता मना ,भय का भूत निकाल।
निज साहस  विश्वास  से,संकट टले विशाल।।

आलस अरुअपसोस में,होश कभी मत खोय।
निज  दुख  नाहक रे मना,औरन से मत रोय।।

अतिशय घोर अगाध है,आलस अजब खराब।
तन-मन को  विचलित करे,जैसे करत  शराब।।

स्वर्ग सफलता सचमुच,जीवन में अनमोल।
कर देता आलस जिसे ,एकदम डावाडोल।।

आलस अदभुत है अहा,सब कुछ देता मार।
यही दिलाता जगत में,सबको पग-पग हार।।

बचकर  ही  इससे रहे,करें  सतत उपचार।
जिससे सुख पाये सदा,वाणी बुध्दि विचार।।

भव्य जीवन आलस ही,कर देता बेकार ।
त्याग इसे तत्काल मना,होगा भव से पार।।

आलस अनर्थ कारक सदा,सब कुछ करता नाश।
जिससे "बाबूराम कवि " मिटे आश   बिसवास।।

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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर 
गोपालगंज(बिहार)८४१५०८
मो०नं० - ९५७२१०५०३२
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