!! रहमत ही कहावत हो जाये !!
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दौलत ना हिफाजत कर पाये ,
रौनक ना नज़ाकत हो पाये ।
शोहरत ना हिमाकत कर पाये ,
मोहलत ना सहायक हो पाये ।।
जब दुआ मिले असहायों की,
तब सृष्टि-दीप जल इतराए ।
श्रद्धा हृदय में उमड़ पड़े ,
तोहमत ना भयानक हो पाये ।।
दु :ख सारे स्वतः मिटें इच्छा ,
शोहबत ना विनाशक हो पाये ।
दीन दु:खी गीताश्वर खुद बन,
रहमत ही कहावत हो जाये ।।
डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज"
अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)
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कविता