रायगढ़ :- अहिल्या देवी सृजन मंच घरघोड़ा शिक्षा साहित्य सँस्कृति पर्यावरण के प्रति समय समय पर चर्चा - परिचर्चा, संगोष्ठी , प्रतिस्पर्धा आयोजित कर अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करती है एवं इन क्षेत्रों में कार्यरत लोगों को प्रोत्साहित करने के कार्य करती है ; जो कि पूर्णतया निःशुल्क होती है।इन आयोजनों में प्रदेश के ही नही अपितु भारत वर्ष के विविध राज्यों से लोग सहभागिता कर सकारात्मक पहल की दिशा में भूमिका भी स्थापित करते है। गाँधी जयंती के अवसर पर वैश्विक आपदा की घड़ी में शिक्षा के प्रति अपनी जागरूकता का परिचय देते हुए "शिक्षक एवं शिक्षा की वर्तमान भूमिका व स्वरूप " पर विचार आमंत्रित किए थे जिसमे अनेकों विचार मंच पर प्रस्तुत किए गए।पत्र पत्रिकाओं में नियमित लेखन करने वाले पद्ममुख पंडा रायगढ़ ने लेख में लिखा "देशकाल परिस्थितियों के साथ व्यक्तित्व का निमार्ण करते हुए शिक्षक अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं।आत्मनिर्भर शिक्षा की जरूरत आज की आवश्यकता है।" स्वतंत्र लेखिका स्वेता (स्वेताम्बरी)गुप्ता कोलकाता प0 बंगाल ने वर्तमान समय मे शिक्षा शिक्षक की दिशा व दशा में बदलाव की स्थिति निर्मित हुई व शिक्षक ने अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी सुनिश्चित की ।अजय पटनायक (तमनार)रायगढ़ ने शिक्षा के लोकव्यापीकरण के साथ शिक्षा का व्यवसायीकरण हो गया है जिसको शिक्षक अपने कार्यविधियों के साथ क्रियान्यवन कर न्याय करेगा।खेमकिरण सैनी बेंगलुरु कर्नाटक ने जीवनोपयोगी सांस्कृतिक मूल्यों को स्थापित करने में एवं कोरोन काल मे शिक्षक की भूमिका बीज वपन कर नवराष्ट्र का पुनर्निर्माण करने की है। ममता वैरागी धार म0प्र0 ने जीवन अनुभवों पर आधारित लेख प्रस्तुत कर तकनीकी भौतिकी शिक्षा पर विचार प्रस्तुत की।लेखिका पटियाला पंजाब से शाहाना परवीन ने छात्र के गुणों का अभ्युदय करने में शिक्षक किताबी ज्ञान के अलावा अन्य विधाओं से कौशल को विकसित कर सकता है।संयोजक विजय पंडा ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में शिक्षक स्वयं से विविध सम्भावनाओं को तलाश करते हुए समाज छात्र सरकार के मध्य अपनी मौजूदगी का चित्र बना रहे हैं जो ऐतिहासिक कार्य साबित होगा।देश के समस्त विद्यार्थी शिक्षक साथ साथ डटे हुए हैं।उक्त सम्बन्ध में विविध प्रकार के लेख प्राप्त हुए ।
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