मनुष्य जीवन है अनमोल



शीर्षक- मनुष्य जीवन है अनमोल 

यहां    पर   है   चीज  का   मोल  
मनुष्य   जीवन     है    अनमोल 

सबसे     मेरा    यही     कहना
तुम     मुस्कुराते    ही     रहना
किसी   का  उपहास  न  करना
मेरे      भाई       मेरी     बहना

है  जग  में   सबका  तोल  मोल  
मनुष्य    जीवन    है   अनमोल   

व्यर्थ   में   समय   मत   गंवाना
करना    कभी    मत     बहाना
मानव   को    मानवता     करो
किसी  को  दुख  मत  पहुंचाना

हम   सुना    है   ढ़ोल   में   पोल 
मनुष्य    जीवन    है    अनमोल    

सम    व्यवहार   नदी   सिखाती 
प्रकृति   सबकी   भूख   मिटाती
हम     सीखें    इनसे     परमार्थ 
बिन   भेद  सुमन   गंध   लुटाती

 कभी   मत   करना   टालमटोल 
मनुष्य    जीवन    है    अनमोल    
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक (कवि एवं समीक्षक) कोंच

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