कुछ भी असंभव नही
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सर्वश्रेष्ट सर्वोपरि उत्तम नर तन पा करके मही ।
सब कुछ कर सकता नर कुछ भी असंभव नही
सत्कर्म सत्संग से जीवन अपना धन्य बना सकता
सेवा सत्य मृदु वाणी से सारा जग महका सकता
मानव धर्म ,हरि भक्ति से स्वर्ग सुधा उपजा सकता
नर से नारायण की पदवी निज कर्मों से पा सकता
मात -पिता ,सदगुरु जनों का पावन पद गही ।
सब कुछ कर सकता नर कुछ भी असंभव नहीं
सदा परस्पर प्यार से सबको सुख पहुँचा सकता ।
निज सुधार से सतत ज्ञान की ज्योति जला सकता
सोये जन -मानस को जगकर सदा जगा सकता ।
नेक नियत से नेकी करके सबसे आगे जा सकता
राष्टृ हित में हँसकर विषपान भी करके सही ।
सब कुछ कर सकता नर कुछ भी असंभव नही
मोक्ष व्दार है यही इसमें श्रीहरि को पा सकता
ड़गमग नइया भव सागर से पार लगा सकता ।
चुक हुआ नाहक अपना सब कुछ गंवा सकता ।
विकट परिक्षा में उत्तम अंक भी ला सकता ।
बाबूराम कवि हरि छवि हर -हर में लख लही ।
सब कुछ कर सकता नर कुछ भी असंभव नही
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बाबूराम सिंह कवि
ग्राम-बड़का खुटहाँ ,पोस्ट-विजयीपुऱ (भरपुरवा)
जिला-गोपालंगंज (बिहार )
मो0नं0-9572105032
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Tags:
कविता