पं दीन दयाल उपाध्याय

पं दीन दयाल उपाध्याय 
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पं भगवती प्रसाद व राम प्यारी की सन्तान 
उत्तर प्रदेश का मथुरा, गांव नगला चंद्रभान

पिता जी रेलवे में थे सहायक स्टेशन मास्टर 
नाना भी चुन्नी लाल सहायक स्टेशन मास्टर

तीन वर्ष की उम्र में उठा था  पिता का साया
रहने को गुड़ की मँढई ननिहाल में आया 

सात वर्ष की उम्र में माता का भी हुआ देहान्त 
लगा जैसे होने लगा हो असमय जीवन अंत

उन्नीस साल की उम्र में किया मृत्यु का दर्शन 
मां-बाप, नाना, मामी का हुआ परलोकगमन 

कल्याण हाई स्कूल सीकर 10वीं में प्रथम 
इंटरमीडिएट की परीक्षा में भी आये प्रथम 

पिलानी का नाम पूरे राजस्थान में था छाया
जब दीनदयाल, राजस्थान में प्रथम आया

करने स्नातक फिर कानपुर चला आया
सनातन धर्म काॅलज में भी प्रथम आया

यहीं से आर एस एस से हुआ अनंत जुड़ाव 
स्नातकोत्तर के लिए आगरा बना था पड़ाव 

स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष में भी प्रथम आये
बहन की मृत्यु से, फाइनल परीक्षा न दे पाये

अब दीनदयाल जी लेखन के क्षेत्र में आए
चन्द्रगुप्त, शंकराचार्य जीवनी लिख कर छाये

अखंड भारत क्यों है, राष्ट्र जीवन की चिंताए
राष्ट्र जीवन की दशा व जीवन की समस्याएं 

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का था सिद्धांत प्यारा
एकात्म मानववाद की प्रचलित विचारधारा 

आपके आदर्श में सदा भारत देश बसता
सांस्कृतिक एकता ही भारत की  विशेषता

डाॅ मुखर्जी देख कार्यकुशलता मन में मुस्काये 
राजनीति का नक्शा बदले ऐसे दो मिल जाए

कालीकट अधिवेशन 1967 में  अध्यक्ष बने
जनसंध अध्यक्ष के रुप में मिले दिन गिने-चुने

फरवरी दस-ग्यारह 1968 की काली रात
मुगलसराय स्टेशन के पास की है यह बात

पौने चार सुबह, संदेश स्टेशन मास्टर के पास 
एक लाश पड़ी है खंभा नंबर 1276 के पास

एक रहस्यमयी मौत का बन गये थे शिकार
डाॅ सतीश चंदाना का स्वीकार करो नमस्कार 
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डाॅ सतीश चंदाना
भगवान परशु राम 
काॅलेज, कुरुक्षेत्र

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