नाम करती बिटिया रानी
अब खूब नाम करती है बिटिया रानी,
बदल गया इतिहास, बदल गई कहानी।
युग बदला, जमाना बदला, वक्त बदला,
कल की बातें छोड़ो, जो हो गई पुरानी।
अब खूब नाम करती है…………
इतिहास क्या चीज अब बेटी के आगे?
शर्म से, भूगोल भी हो रहा पानी पानी।
हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही है,
जमाने को भी, याद दिला रही नानी।
अब खूब नाम करती है……………
मौसम बड़ा अलबेला और सुहाना आया,
सारे जग में, बेटियों का जमाना आया।
बेटियों के बढ़ते कदम रुक नहीं सकते,
चाहे कोई कितनी भी कर ले बेईमानी?
अब खूब नाम करती है…………
आसमान भी झुकने को तैयार है आगे,
देखकर बेटों को, थोड़ी हो रही है हैरानी।
अब गूंगी गुड़िया कोई नहीं कह सकता,
बेटियों के साहस की, दुनिया है दीवानी।
अब खूब नाम करती है…………..
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/गीतकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर(मधुबनी)बिहार
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कविता