बड़ खिलकारी



बड़   खिलकारी ,

जात  धरम  ला नइ  जानन जी

एकेच   सबो   संगवारी  ।।

जलाके मन मा मया के दीया

करथन   सबला   अँजोर  ,

रोवत रोवत हाँसत रहिथन

चाहे बदरा राहय घनघोर।।

घोलन घोलन के सूत जथन

ए  भुईयाँ  हरय  महतारी,

हाँसी, ठिठोली, खेलई कूदई के

गूँजथय   अड़बड़   खिलकारी .......

कवि- भास्कर वर्मा

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