*कलम का कमाल*
विधा : कविता
लिखता में आ रहा,
गीत मिलन के में।
कलम मेरी रुकती नही,
लिखने को नए गीत।
क्या क्या में लिख चुका,
मुझको ही नही पता।
और कब तक लिखना है,
ये भी नही पता।
लिखता में आ रहा.....।।
कभी लिखा श्रृंगार पर।
कभी लिखा इतिहास पर।
और कभी लिख दिया,
आधुनिक समाज पर।
फिर भी आया नही,
सुधार लोगो की सोच में।।
लिखता में आ रहा...।।
लिखते लिखते थक गये,
सोच बदलने वाली बातें।
पर नहीं बदले उनके विचार।
इसे ज्यादा क्या कर सकता, एक रचनाकार और लेखक।।
लिखता हूँ सही बातें,
अपने गीतों में सदा
अपने गीतों में......।।
जय जिनेन्द्र देव
संजय जैन(मुम्बई)
20/03/2021
Tags:
कविता